समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के शूद्र वाले बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनकी घेराबंदी की है। शुक्रवार को उन्होंने एक के बाद एक चार ट्वीट किए। उन्होंने अखिलेश यादव के बयान को एससी, एसटी और ओबीसी का अपमान बताते हुए उन पर बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि देश में कमजोर और उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस और मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी और ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।
मायावती ने कांग्रेस और भाजपा को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी और इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं और महापुरुषों आदि की उपेक्षा और तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी में कोई किसी से कम नहीं है।
अखिलेश को दिलाई गेस्ट हाउस कांड की याद
बसपा सुप्रीमो ने शूद्र वाले बयान पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाई और कहा कि सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।
मायावती ने कहा कि वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित और सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।