प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ भू-धंसाव पर अपडेट लिया है। फोन से बात पर सीएम धामी से पूछा कि कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं। जोशीमठ में नुकसान और विस्थापन के बारे में भी जानकारी ली। पीएम मोदी ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। सीएम धामी जोशीमठ भू-धंसाव की रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देंगे।
मालूम हो कि सीएम धामी ने शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया था। उन्होंने प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी और गौचर के आसपास जमीन तलाशने के निर्देश भी दिए थे। शहर के विभिन्न वार्डों में पैदल चलकर उन्होंने मकानों की दरारों के साथ ही विभिन्न स्थानों पर जमीनों पर पड़ी दरारों का निरीक्षण किया था। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया होगा।
उत्तराखंड सरकार की पहली प्राथमिकता प्रभावित लोगों को शिफ्ट करना है। फिर इसके बाद दीर्घकालिक योजना पर काम किया जाएगा। विभिन्न केंद्रीय संस्थानों के वैज्ञानिक मौके का सर्वे कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद दो-तीन दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और जल शक्ति मंत्रालय भी लगातार जोशीमठ भू-धंसाव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वे भी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वस्तुस्थिति की रिपोर्ट देंगे।
पुनर्वास को जमीन की तलाश: सीएम धामी ने कहा कि दीर्घकालिक योजना के तहत प्रभावित के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी और गौचर के आसपास जमीन चिह्नित की जा रही है। सरकार हर ऐसा कदम उठाएगी, जिससे प्रभावित को राहत दिलाई जा सके। उन्होंने बताया कि तत्काल प्रभाव से जोशीमठ में निर्माण कार्यों और एनटीपीसी परियोजना के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही औली रोपवे का संचालन भी बंद कर दिया है।
603 मकानों में आ चुकी हैं दरारें
जोशीमठ प्रशासन द्वारा जारी आंकडों के अनुसार शनिवार तक 603 भवनों में दरार आ चुकी हैं। जिनमें से 134 गांधीनगर, 28 मारवाड़ी, 24 लोअर बाजार, 56 सिंहधार, 80 मनोहरबाग, 31 अपर बाजार, 38 सुनील, 51 परसारी, 161 रविग्राम में हैं। अभी तक प्रशासन द्वारा 18 परिवारों को नपा, 3 को प्रावि, 3 को मिलन केन्द्र, 5 को गुरुद्वारा में हैं। 55 परिवार विस्थापित किए गए हैं।
जोशीमठ में भू धंसाव का खतरा अभी टला नहीं
जोशीमठ में जेपी कॉलोनी के बाद एक नई जगह से पानी का रिसाव के बाद माना जा रहा है कि खतरा अभी टला नहीं। मौके पर गईं वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ भू-विज्ञानी डॉ. स्वप्नमिता चौधरी वैदेश्वरन ने कहा- लगता है जमीन के भीतर कहीं पर रिजरवायर बना था और दरार खुलते ही उसमें से पानी निकलने लगा।
इसका मतलब है कि यहां पर अभी जमीन और धंस सकती है। डॉ. स्वप्नमिता शनिवार को देहरादून लौट गई हैं। डॉ.स्वप्नमिता ने ही जोशीमठ का 2006 में भू-गर्भीय अध्ययन किया। 2022 में आपदा प्राधिकरण की टीम में भी वह विशेषज्ञ की हैसियत से शामिल रहीं और अब एक बार फिर वाडिया की ओर से डॉ.स्वप्नमिता को जोशीमठ भेजा। उन्होंने कहा, जोशीमठ में ताजा स्थिति उहापोह वाली है। लगातार भवनों में दरारें आ रही है, कई स्थानों पर जमीन धंस रही है। पानी के नए निकासी स्थल नजर आ रहे हैं।