मैनपुरी में डिंपल यादव को जीत की ओर बढ़ता देखकर सपा परिवार फिर से एक हो गया। अखिलेश और शिवपाल ने अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। बहू डिंपल को जीतता देखकर शिवपाल यादव ने सपा में वापसी कर ली है। सैफई के एसएस मेमोरियल स्कूल में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रसपा का सपा में विलय कराया। इस दौरान अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को सपा का चुनाव चिह्न भेंट किया। प्रसपा और सपा का विलय होते ही दोनों पार्टी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता के सपा में शामिल होने के बाद बेटे आदित्य यादव और भतीजे अभिषेक यादव ने गाड़ी से प्रसपा का झंडा निकालकर सपा का झंडा लगा दिया। सपा और शिवपाल ने अपने-अपने हैंडल से सपा में प्रसपा के विलय की तस्वीर भी ट्वीट की।

2018 में शिवपाल ने बनाई थी अपनी पार्टी
सितंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव के बीच पार्टी और सरकार में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी। एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा का अध्यक्ष बना दिया गया था। उसके बाद शिवपाल पार्टी में हाशिये पर पहुंच गये थे। सपा में ‘सम्मान’ न मिलने का आरोप लगाते हुए शिवपाल ने अगस्त 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का गठन कर लिया था। शिवपाल ने वर्ष 2019 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के खिलाफ लड़ा था। हालांकि, वह जीत नहीं सके थे, लेकिन उन्हें 90 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जिसे सपा प्रत्याशी की हार की बड़ी वजह माना गया था।
शिवपाल ने इस साल की शुरुआत में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट से सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी। मगर उसके बाद अखिलेश से फिर से उनका मनमुटाव शुरू हो गया था। हालांकि, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल ने गिले-शिकवे भुलाकर अखिलेश की पत्नी और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के पक्ष में जबरदस्त प्रचार किया था। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आने वाले शिवपाल के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में डिंपल को एक लाख से ज्यादा मतों से बढ़त हासिल हो चुकी है।
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