मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गरीबों, जरूरतमंदों, बीमार, असहाय और लाचारों की मदद करने वाले ऐसे पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने एक लाख से ज्यादा लोगों की संकट में मदद की। पिछले साढ़े पांच वर्षों में एक लाख से अधिक लोगों को 17 अरब रुपये की आर्थिक सहायता दी है जबकि सपा सरकार में मात्र 10 हजार 431 लोगों को चार अरब 47 करोड़ 84 लाख 94 हजार 948 रुपए की मदद की गई थी।

सीएम योगी ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2017-18 में 13093 लोगों को एक अरब 71 करोड़ 35 लाख 82 हजार रुपये, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 17 हजार 650 लोगों को दो अरब 44 करोड़ 94 लाख 49 हजार 400 रुपये, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 17 हजार 940 लोगों को दो अरब 74 करोड़ 17 लाख 19 हजार 500 रुपये और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15,190 लोगों को दो अरब 66 करोड़ 82 लाख 35 हजार 286 रुपए दिए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 22176 लोगों को तीन अरब 90 करोड़ 52 लाख 50 हजार 365 रुपये और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 31 अक्तूबर तक 18597 लोगों को तीन अरब 32 करोड़ 90 लाख 25 हजार 359 रुपये दिए हैं। ऐसे में कुल साढ़े पांच वर्षों में 104646 लोगों को 16 अरब 80 करोड़ 72 लाख 61 हजार 910 रुपये दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री के विशेष सचिव प्रथमेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार जरूरतमंद और गरीब पात्रों की मदद की जा रही है। इसमें किडनी प्रत्यारोपण, कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों में धनराशि तय समय में दी जाती है। इस पूरी व्यवस्था को अब और पारदर्शी बनाते हुए आनलाइन कर दिया गया है।
परिवारों की जमीन और गहने भी बिकने के कगार पर थे
सीएम योगी ने इससे पहले कोरोना काल में भी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए गांव-गांव और घर-घर भ्रमण किया था। इसके अलावा जिले स्तर पर सेवाओं और सुविधाओं को लेकर बैठक भी की थी। सीएम योगी शुरू से ही गरीबों, मजलूमों, असहायों और गंभीर रोगियों की मदद में आगे रहे हैं। सांसद रहते हुए भी उनके द्वार हमेशा आम लोगों के लिए खुले रहते थे। सीएम योगी की मदद से ऐसे हजारों लोगों की न सिर्फ जान बची है, बल्कि उनके परिवारों की जमीन और गहने भी बिकने के कगार पर थे।
अखिलेश सरकार के पांच साल
सपा सरकार के दौरान 2012 से लेकर 2017 तक मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2012-13 में 3362 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपए, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 4361 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपए, वित्तीय वर्ष 2014-15 में 5284 लोगों को 44 करोड़ 98 लाख 80 हजार 750 रुपए, वित्तीय वर्ष 2015-16 में 7762 लोगों को 98 करोड़ 34 लाख 42 हजार 747 और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10431 लोगों को एक अरब 64 करोड़ 94 लाख 17 हजार 732 रुपए की मदद दी गई थी।
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