गोवंशों में तेजी से फैल रहे लंपी वायरस से निपटने के लिए इजाद की गई वैक्सीन का उत्पादन जल्द ही शुरू हो जाएगा। आईवीआरआई बरेली और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से विकसित ‘लंपी प्रोवैक इंड’ वैक्सीन को शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित समारोह में बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया।
नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की वाणिज्यिक शाखा में शुक्रवार को हुए कार्यक्रम में आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि इस टीके के प्रयोग से किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि बायोवेट प्रा. लिमिटेड, निश्चित रूप से मानकों के अनुरूप वैक्सीन का निर्माण करेगी, जिससे पशुओं में बीमारी को रोकने में कारगर सिद्ध होगी। समारोह में डॉ. बीएन त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), डॉ. यश पाल, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार, डॉ. सुधा मैसूर, सीईओ, एग्रोनेट, डॉ. श्रीनिवासुलु किलारी, कार्यकारी निदेशक, बायोवोल्ट प्रा. लिमिटेड एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एग्रीनोवेट आदि के अधिकारी मौजूद रहे।
स्वदेशी फॉर्मूले से तैयार की गई है वैक्सीन
आईवीआरआई बरेली और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से तैयार ‘लंपी प्रोवैक इंड’ वैक्सीन स्वदेशी फार्मूले पर तैयार किया गया है। वैक्सीन बनाने के बाद तीन महीने तक इसका क्लीनिकल ट्रायल हुआ। इसके बाद मई 2022 में 15 बछड़ों पर प्रयोग किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि टीका लगने के बाद सात से 14 दिन बाद गोवंशों में एंटीबॉडीज बनने लगती है।
वैक्सीन के परिणाम उत्साहजनक डॉ. यश पाल
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार के निदेशक डॉ. यश पाल ने बताया कि ‘लंपी प्रोवैक इंड’ वैक्सीन के परिणाम उत्साहजनक हैं। यह वैक्सीन घातक लंपी स्किन डिजीज से गोवंशों को बचाएगा। बायोवे