प्रदेश की पांचों बिजली कंपनियों मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल व केस्को की तरफ से मंगलवार को अपीलेट ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर दी गई। यह याचिका विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी नई बिजली दरों के खिलाफ की गई है। वहीं दूसरी ओर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से एक सितंबर को बिजली दरों में कमी करने को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने विधिवत कार्यवाही की शुरुआत कर दी है। उपभोक्ताओं की करीब 25 हजार करोड़ की सरप्लस धनराशि को लेकर आयोग ने 15 दिन में पावर कारपोरेशन से रिपोर्ट मांगी है।
उपभोक्ता परिषद का कहना है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2019-20 तक लगभग 22045 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहे हैं। उसी क्रम में वर्ष 2020-21 में ट्रू-अप में निकला 3088 करोड़ रुपया भी आगे जुड़ेगा जो कुल राशि 25133 करोड़ हो जाएगी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बीते दिनों नियामक आयोग के अध्यक्ष से मिलकर उपभोक्ताओं की सरप्लस राशि के एवज में बिजली दरों में कमी की मांग की थी। आयोग अध्यक्ष के निर्देश पर सचिव संजय कुमार सिंह ने कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल से परिषद की याचिका पर रिपोर्ट मांगी है। उसके बाद आयोग आगे की कार्यवाही करेगा।
एक ओर आयोग के फैसले के खिलाफ बिजली कंपनियों ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया है। यदि वहां कंपनियों के हक में फैसला होता है तो बिजली महंगी होने की संभावना है। उधर, परिषद ने दरों में कमी लाने के दांव से कंपनियों के असहज कर दिया है। परिषद ने नोएडा पावर कंपनी के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत कमी किए जाने की तर्ज पर प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को अगले छह वर्षों तक 7 प्रतिशत कम दरों का लाभ दिए जाने की मांग की है।