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स्पेन की संसद ने यौन हिंसा रोकने के लिए ऐसे कानून को सहमति दी, जिस पर जमकर हो रहा विवाद

स्पेन की संसद ने यौन हिंसा को रोकने के लिए एक ऐसे कानून को सहमति दी है, जिस पर जमकर विवाद हो रहा है. लगभग एक साल की तैयारी के बाद इस नए और सख्त कानून को संसद में 205 सासंदों की सहमति से मंजूरी दी गई. हालांकि, 141 सांसदों ने इसका विरोध भी किया. इसे कंप्रीहेंसिव गारंटी ऑफ सेक्सुअल फ्रीडम लॉ यानी सेक्स की आजादी कानून कहा जा रहा है. बड़े पैमाने पर लोग इसे ‘सिर्फ हां ही हां है’ कानून भी कह रहे हैं. इस पर क्या है विवादों की वजह आइए बताते हैं.

स्पेन की संसद द्वारा पारित एक कानून के तहत स्पेन के लोगों को भविष्य में यौन कृत्यों के लिए स्पष्ट रूप से अपनी सहमति देनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह कोई यौन हिंसा तो नहीं या उन्होंने कोई गलत काम तो नहीं किया है. डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूढ़िवादी पीपुल्स पार्टी (PP) और दक्षिणपंथी वोक्स पार्टी ने तथाकथित ‘यस मीन्स यस’ कानून के खिलाफ वोट दिया, वोक्स पार्टी के नेताओं ने इस दौरान यह तर्क देते हुए कहा कि यह कानून दोषी साबित होने तक निर्दोष होने की भावना के खिलाफ जाता है.

कानून मई में पहले ही निचले सदन की जांच को पारित हो गया था, लेकिन सीनेट द्वारा एक छोटे से सुझाए गए बदलाव के साथ वापस भेज दिया गया था. नया कानून दुर्व्यवहार और आक्रामकता के बीच के अंतर को हटाता है. यौन शोषण को कानून द्वारा बलात्कार के रूप में माना जाएगा, भले ही पीड़िता सक्रिय रूप से उसका बचाव करे. बलात्कार और यौन हिंसा के लिए 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. इसके अलावा, ऐसी तारीफ करना जिससे डर लगे और सेक्स टेप के प्रसार को भी अपराध माना जाएगा.

यौन हिंसा के खिलाफ नई पहल आंशिक रूप से सामूहिक बलात्कार के कई हाई-प्रोफाइल मामलों के बाद आई है, जिसमें अपराधियों को हाल के वर्षों में हल्की सजा मिली है. वहीं इस कानून की जड़ें स्पेन के चर्चित कथित गैंगरेप केस से जुड़ी हैं. ‘ला मनाडा’ नाम से चर्चित इस केस में 2016 में पांच लोगों के समूह ने एक 18 साल की लड़की का गैंगरेप किया था. सैन फर्मिन फेस्टिवल के दौरान यह वारदात हुई. स्पेनिश कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपियों को यौन उत्पीड़न का दोषी पाया लेकिन यौन हिंसा और आक्रामकता का दोषी नहीं माना. इस वजह से अभियुक्तों को 9 साल की सजा हुई और अंतिम फैसला आने तक वो बेल पर रिहा हो गए. हालांकि बाद में स्पेन के सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को 9 साल से बढ़ाकर 15 साल कर दिया था.

इस केस के बाद स्पेन में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को लेकर लगातार प्रदर्शनों का दौर चला. इन प्रदर्शनकारियों ने सख्त कानून बनाने और अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग की थी. इसके बाद सरकार ने नया कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की. नए कानून के तहत यौन हिंसा से जुड़े कानून में अहम बदलाव किए गए हैं और पीड़ित महिलाओं की बेहतर देखभाल का प्रावधान भी किया गया है. अब देश की कैबिनेट मिनिस्टर आइरीन मोंटेरो ने इस कानून को देश की यौन संस्कृति के परिवर्तन के लिए निर्णायक कदम बताया है. उन्होंने कहा कि यह ‘बलात्कार की संस्कृति’ को समाप्त कर देगा. जबकि मई में, उन्होंने कहा था कि, ‘नारीवादी आंदोलन स्पेन में इतिहास लिख रहा है.’

स्पेन के राजा के हस्ताक्षर करने के बाद ये कानून अधिकारिक गजट में प्रकाशित हो जाएगा और फिर कुछ दिनों के भीतर ही प्रभावी हो जाएगा. स्पेन में सरकार चला रहे वामपंथी गठबंधन का कहना है कि ये दुनिया

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