महिला अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता और लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। सोमवार रात को एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल पहुंची। जहां से उसे चेकअप कर भर्ती करने के बजाय वापस घर भेजा दिया। लौटते वक्त रास्ते में महिला ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। लगातार दूसरी घटना ने महिला अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
गफूर बस्ती वार्ड-22 निवासी शब्बो को सोमवार रात करीब 10.40 बजे प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजन महिला अस्पताल लाए। 11:30 बजे अस्पताल पहुंची शब्बो का वहां मौजूद महिला डॉक्टर ने चेकअप किया। इसके बाद डॉक्टर ने डिलीवरी में समय होने की बात कहते हुए परिजनों से शब्बो को घर ले जाने को कह दिया।
जबकि परिजन दर्द से कराह रही शब्बो को अस्पताल में भर्ती करने पर अड़े रहे। शब्बो के पति इमरान ने बताया कि भर्ती करने की जिद करने पर डांट भी दिया। निराश परिजन गर्भवती को ऑटो में बिठाकर घर की ओर निकले। देर रात 12.20 बजे ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। जिसके बाद वह घर चले गए।
केस-1: उजाला नगर के शाहवेज खान ने बताया 11 अगस्त को प्रसव पीड़ा होने पर वह पत्नी फरहा को महिला अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी, कहा अभी आठवां महीना चल रहा है। यह गैस का दर्द होगा और मरीज को इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया। इस दौरान वहां मौजूद डॉक्टर ने यह भी कहा कि यदि दोबारा दर्द हो तो मरीज को एसटीएच ले जाना। क्योंकि यहां अस्पताल में मरीज के लिए जगह नहीं है। सुबह 4 बजे दोबारा दर्द हुआ तो वह पत्नी को एसटीएच ले गए। जहां बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन कुछ घंटों बाद ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।
केस-2: उत्कर्ष विहार, डिफेन्स कॉलोनी निवासी विरेन्द्र सिंह ने बताया कि 25 अगस्त को जब उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो वह रात 12 बजे के आसपास उन्हें महिला अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर ने भर्ती करने से साफ मना कर दिया। यह भी कहा कि मरीज को एसटीएच ले जाएं। एसटीएच में उस वक्त डॉक्टर मौजूद नहीं होने से उन्होंने वहां जाने से मना कर दिया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से गर्भवती महिला को किसी निजी अस्पताल तक छुड़वाने की बात कही, लेकिन मदद नहीं मिली। वह ऑटो से मरीज को निजी अस्पताल ले जा रहे थे, रास्ते में गर्भवती ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया।
केस-3: इंदिरानगर निवासी फहीम ने बताया कि 7 अगस्त को जब उनकी पत्नी निखत को प्रसव पीड़ा हुई तो वह उसे महिला अस्पताल लेकर गए। वहां पत्नी ने बेटी को जन्म दिया। बच्ची के जन्म के बाद भी निखत की हालत खराब थी। अस्पताल प्रबंधन ने तीन दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। परिजनों का आरोप है कि निखत पर अस्पताल में कोई ध्यान भी नहीं दिया गया। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उनकी तबीयत और बिगड़ गई। वह निखत को पहले निजी अस्पताल फिर एसटीएच ले गए। वहां भी राहत न मिलने पर दिल्ली ले गए। जहां उपचार के दौरान मौत हो गई। फहीम ने कहा उपचार के दौरान लापरवाही न होती तो आज उनकी पत्नी जीवित होती।
सोमवार को अस्पताल में गर्भवती महिला को भर्ती नहीं किए जाने का मामला संज्ञान में आया है। मामले में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से जानकारी ली जा रही है। मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी