बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण (BCI slams Prashant Bhushan) द्वारा न्यायपालिका के विरुद्ध की गई टिप्पणी की आलोचना की है। बीसीआइ ने कहा कि प्रशांत ने इस बार सारी हदें पार कर दीं हैं। सुप्रीम कोर्ट और इसके न्यायाधीशों का कोई भी व्यक्ति उपहास नहीं कर सकता। बीसीआइ ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप किसी की भी आलोचना कर सकते हैं लेकिन किसी भी हालात में लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ सकते।

न्यायाधीशों को डराना चाहते हैं भूषण
बीसीआइ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भूषण जैसे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं। ये भारत विरोधी अभियान में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के हमारे न्यायाधीशों की आलोचना करते हुए अनुचित और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। ऐसा कर उन्होंने कुछ न्यायाधीशों को डराना चाहा।
ऐसी बातों को बर्दाश्त नहीं करेंगे
मनन कुमार ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्यवाही शुरू करने में किसी कारण से संकोच कर सकता है, लेकिन हम इस तरह की चीजों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।भूषण ने 10 अगस्त को इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आइएएमसी) द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए जकिया जाफरी और मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की आलोचना की थी।
भूषण ने शीर्ष अदालत के हालिया फैसलों की आलोचना की थी
इससे पहले बुधवार को, भूषण ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) द्वारा आयोजित वेबिनार में बोलते हुए जकिया जाफरी और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) जैसे मामलों में शीर्ष अदालत के हालिया फैसलों की आलोचना की थी। जिसके बाद अब बीसीआइ ने उनके इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है। बीसीआइ ने बयान में कहा कि प्रैक्टिस करने का लाइसेंस आपको वकील के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं देता है।
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