अपने विस्तारवादी रवैये की वजह से दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा चीन अब दुनिया की एकमात्र सुपरपावर अमेरिका को भी धमकी देने से बाज नहीं आता है. उसने एक बार फिर अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उसने ताइवान के मामले में टांग अड़ाई तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ गुरुवार को टेलिफोन पर हुई बातचीत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल करते हुआ कहा कि ताइवान के मामले को उठाकर अमेरिका आग से खेल रहा है और इस पर चीन चुप नहीं रहेगा. जिनपिंग की खुली धमकी के बावजूद बाइडेन चुपचाप सुनते रहे और कारोबारी संबंध बढ़ाने पर जोर देते रहे.
‘ताइवान चीन का अभिन्न अंग’
जो बाइडेन के साथ करीब सवा दो घंटे तक चली बातचीत में शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान चीन का ही एक अंग है और वह ताइवान की स्वतंत्रता को सपोर्ट करने वाली ताकतों का विरोध करता है. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करना चीन के डेढ अरब लोगों की दृढ़ इच्छा है. इस दृढ इच्छा को किसी भी रूप में टाला नहीं जा सकता. जिनपिंग को अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की आगामी ताइवान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करके अमेरिका आग से खेल रहा है और इतिहास गवाह है कि जो आग से खेलते हैं वे इससे नष्ट हो जाते हैं.
‘अमेरिका को भुगतने होंगे नतीजे’
जो बाइडेन को नसीहत देते हुए जिनपिंग ने कहा कि उम्मीद है कि अमेरिका नैंसी पेलोसी के मामले को देखेगा और अपनी एक चीन की नीति से किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेगा. चीन ने कहा कि अगर पेलोसी ताइवान की यात्रा पर जाती हैं तो वह इसे उकसावे वाली कार्रवाई मानेगा और अमेरिका को इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.
चीनी राष्ट्रपति शी ने कहा कि मौजूदा वक्त में दुनिया में अशांति और बदलाव का दौर चल रहा है. ऐसे में दुनियाभर के लोग आशा कर रहे हैं कि चीन और अमेरिका मिलकर विश्व शांति को बनाए रखने में मदद करेंगे और वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ाएंगे. दोनों देशों को इस वैश्विक जिम्मेदारी को गंभीरता से उठाना चाहिए. शी ने कहा कि ताइवान के मुद्दे पर चीन का दृष्टिकोण दुनिया को पता है और उसे बार-बार दोहराने की जरूरत नहीं है.
‘अमेरिका ने चीन से किया था अनुरोध’
फोन कॉल के दौरान दोनों नेताओं ने अमेरिका और चीन के रिश्तों को आगे बढ़ाने पर बात की. यह वार्ता अमेरिका के अनुरोध पर की गई थी. इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बुधवार को दोनों देशों के संबंधों के बारे में जानकारी दी थी. किर्बी ने कहा था कि कि राष्ट्रपति जो बाइडेन चीनी राष्ट्रपति से बातचीत के रास्ते खुले रखने की जरूरत महसूस करते हैं.
‘ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं’
बैठक में बाइडेन ने आश्वासन दिया कि वह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता और न ही कभी करेगा. बाइडेन ने कहा कि अमेरिका एक चीन की पॉलिसी मानता है और वह इसी पर टिका रहेगा. बातचीत के दौरान दोनों नेता भविष्य में पेस टू फेस मीटिंग करने के लिए भी सहमत हुए. दोनों नेताओं ने अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा की.