जुलाई में मानसून की सक्रियता के साथ ही देश में ईंधन की मांग में कमी आई है। रविवार को जारी प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की मांग जुलाई में पिछले महीने की तुलना में गिर गई है। देश में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन डीजल की खपत 1-15 जुलाई के दौरान 13.7 प्रतिशत घटकर 3.16 मिलियन टन रह गई, जो पिछले महीने की समान अवधि में 3.67 मिलियन टन थी। हालांकि डीजल की मांग साल-दर-साल बढ़ रही है।
आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 की तुलना में 2022 में 1 जुलाई से 15 जुलाई के दौरान डीजल की खपत में 43.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जुलाई 2019 की तुलना में यह 13.7 प्रतिशत अधिक है। जुलाई 2022 में पेट्रोल की बिक्री में अब तक 7.8 फीसद की गिरावट आ चुकी है। जुलाई में पेट्रोल की डिमांड घट कर 1.27 मिलियन टन रह गई, जबकि पिछले महीने की इसी अवधि में पेट्रोल की बिक्री 1.38 मिलियन टन थी। हालांकि इसकी खपत जुलाई 2021 की तुलना में 23.3 प्रतिशत और जुलाई 2020 की तुलना में 46 फीसद अधिक थी।
जून में अधिक हुई ईंधन की खपत
जून में गर्मियों के चलते देश के ठंडे इलाकों की यात्रा में वृद्धि के कारण भी ईंधन की खपत तेज रही। विमानन क्षेत्र की बात करें तो भारत का समग्र यात्री यातायात (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों) कोरोना काल से पहले वाली स्थिति के करीब पहुंच गया है। इस साल 1 से 15 जुलाई के दौरान जेट ईंधन (एटीएफ) की मांग 77.2 प्रतिशत बढ़कर 247,800 टन हो गई। जुलाई 2020 की तुलना में यह 125.9 फीसद अधिक है। लेकिन जुलाई 2019 की तुलना में यह अब भी 17.7 प्रतिशत कम है। तेल उद्योग से उड़े एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि मानसून के महीने परंपरागत रूप से कम खपत वाले महीने होते हैं, लेकिन साल के बाकी दिनों में तेल की कुल मांग में तेजी बनी रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
एलपीजी का कैसा रहा हाल
जुलाई की पहली छमाही में रसोई गैस (एलपीजी) की बिक्री सालाना आधार पर 14.15 प्रतिशत बढ़कर 1.24 मिलियन टन हो गई। एलपीजी की खपत जुलाई 2020 की तुलना में 16.6 प्रतिशत और जुलाई 2019 की तुलना में 8.6 प्रतिशत अधिक थी। जून के पहले 15 दिनों के दौरान 1.15 मिलियन टन एलपीजी की खपत हुई। मासिक आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई के पहले पखवाड़े तक इसमें 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।