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उत्तराखंड में जमीनों की खरीद-फरोख्त में आईकाफी तेजी, पढ़े पूरी खबर

उत्तराखंड में बीते कुछ वर्षों में जमीनों की खरीद-फरोख्त में काफी तेजी आई है। इससे तमाम तरह के विवाद जुड़े और कई सफेदपोश के नाम भी सामने आए। विधानसभा के भीतर इस पर जम कर हंगामा भी हुआ।

निर्णय लिया गया कि भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों की बेनामी संपत्ति को सामने लाने को सख्त कानून बनाया जाएगा। कहा गया कि जनता से भी इस कानून को बनाने के लिए सुझाव लिए जाएंगे।

प्रदेश में बेनामी संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी। इसमें संपत्ति क्रय करने वाले की आय के स्रोत, अचल संपत्ति के क्रय के बाद मौजूदा प्रकृति, क्रय करने के कारण जैसे बिंदु शामिल कर जांच होगी, ताकि बेनामी संपत्ति को आसानी से पकड़ कर राज्य सरकार में निहित किया जा सके।

इससे सरकारी योजनाओं के लिए भी जमीन मिल सकेगी। छह साल पहले हुई इस घोषणा पर आज तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है।

जेलों में आखिर कब बदलेंगे पुराने कानून

जेलों में कैदियों की दुर्दशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को वर्षों पुराने कानूनों को बदलने के निर्देश दिए। प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए। पुराने कानूनों का अध्ययन करने के लिए अपर सचिव गृह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें अपर सचिव न्याय व महानिरीक्षक जेल को शामिल किया।

उम्मीद जताई गई कि समिति वर्षों पुराने कानूनों के स्थान पर माडल जेल मैनुअल को जगह देगी। इससे जेलों में निर्धारित क्षमता से अधिक बंद कैदियों की दुर्दशा कुछ सुधरेगी और जेलों के जरिये चल रही आपराधिक गतिविधियों पर भी नकेल कसी जा सकेगी।

इस बीच हाईकोर्ट ने भी एक समिति बना दी। इस समिति ने एक लंबा-चौड़ा बिल सरकार को थमा दिया। ऐसे में कैदियों की स्थिति सुधारने की रिपोर्ट के स्थान पर शासन स्तर पर इस बिल के भुगतान को लेकर ही चर्चा चल रही है।

आर्थिक बोझ को हलका करेगी डीबीटी योजना

परिवहन निगम ने सरकारी योजनाओं में लगातार हो रहे खर्च को देखते हुए मुफ्त यात्रा के स्थान पर डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना शुरू करने का प्रस्ताव बनाया। कारण बताया कि इससे निगम को बार-बार इस मद की धनराशि के लिए सरकार के सामने गुहार नहीं लगानी पड़ेगी।

योजना अच्छी भी थी, इससे निगम को सीधा पैसा मिलता और लाभार्थी को भुगतान सरकार करती। प्रस्ताव कैबिनेट में पहुंचा लेकिन सहमति नहीं बन पाई। दरअसल, परिवहन निगम में इस समय विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त यात्रा का प्रविधान है।

विधायक, मान्यता प्राप्त पत्रकार, स्कूली छात्राएं, वरिष्ठ नागरिक निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करते हैं। निगम को इसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है, लेकिन यह कभी समय पर नहीं मिलता।

इससे निगम को कई बार अपने कार्मिकों को समय पर वेतन देने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे अभी भी इस ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय उड़ान को ठोस कदम की जरूरत

उत्तराखंड का नैसर्गिक सौंदर्य देश-दुनिया के पर्यटकों को लगातार आकर्षित करता रहा है। हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक उत्तराखंड घूमने आते हैं। विदेश से आने वाले पर्यटकों के सीधे उत्तराखंड आने की अभी कोई व्यवस्था नहीं है।

इसे देखते हुए उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं से जोड़ने की योजना बनाई गई। कहा गया कि इससे विदेश से आने वाले पर्यटक सीधे उत्तराखंड पहुंच सकेंगे। इससे न केवल उत्तराखंड का विकास होगा, बल्कि पर्यटकों को भी सहूलियत मिलेगी।

इसके लिए देहरादून के साथ ही हरिद्वार व पंतनगर में से किसी एक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की बात हुई। इस दिशा में खूब बयानबाजी भी हुई। लगा कि जल्द उत्तराखंड से अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू हो जाएंगी। अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।

प्रदेश से यदि सही मायनों में अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू करनी है तो इसके लिए पुरजोर तरीके से केंद्र के समक्ष पैरवी करनी ही होगी।

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