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दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के लिए गठित आयोग में होंगे तीन सदस्य, चार महीने में देनी होगी रिपोर्ट

दिल्ली नगर निगम के चुनावों की तरफ कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1957 की धारा 3,3A एवं 5 द्वारा निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए निगम वार्डों के परिसीमन एवं उससे से जुड़े अन्य कार्यों में केंद्र सरकार की सहायता के लिए परिसीमन आयोग का गठन कर दिया है।

दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के लिए गठित आयोग में तीन सदस्य होंगे। श्री विजय देव, राज्य चुनाव आयुक्त, दिल्ली, इसके अध्यक्ष होंगे। जबकि पंकज कुमार सिंह, संयुक्त सचिव, शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं रणधीर सहाय,अतिरिक्त आयुक्त, दिल्ली नगर निगम इस परिसीमन आयोग के सदस्य होंगे। यह आयोग दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन से संबंधित अपनी रिपोर्ट अपने गठन से चार माह के अंदर सौंपेगा।

उधर, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली डीडीए की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय कुप्रबंधन के कारण डीडीए पर दस हजार करोड़ रुपये की देनदारी हुई है। इसकी वित्तीय हालत सुधारने के लिए जनभागीदारी की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने ट्वीट कर लोगों से सुझाव भी आमंत्रित किए और ‘डीडीए को व्यवहार्य बनाने’ का संकल्प व्यक्त किया।

उपराज्यपाल ने एक ट्वीट कर कहा कि डीडीए देश ही नहीं दुनिया की सबसे महंगी और बड़ी अचल संपत्ति के मालिकों में से एक है। लेकिन, कुप्रबंधन के कारण इसकी देनदारियां बढ़ गई हैं। उन्होंने आम लोगों से आग्रह किया कि वे आगे बढ़कर डीडीए को व्यवहार्य बनाने का संकल्प लें।

ट्वीट में उपराज्यपाल ने वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2021-22 के तहत डीडीए की वित्तीय स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान डीडीए की कुल आमदनी 3578.69 करोड़ रही, जबकि खर्चा 6787.83 करोड़ रहा है। डीडीए का कुल नकदी घाटा 3209.14 करोड़ है।

उन्होंने बताया कि 2016-17 से 2021-22 के बीच पांच साल में डीडीए के ऋण की देनदारियां 8915 करोड़ हो चुकी हैं, जो अन्य देनदारियों को मिलाकर दस हजार करोड़ के खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। यानी आमदनी से अधिक खर्च के कारण ये हालात पैदा हुए हैं। हमें मिलकर इसे सही करने का प्रयास करना होगा।

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