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सेब, कीवी और मनुका शहद पर रियायतें कृषि उत्पादकता से जुड़ीं, घरेलू किसानों का संरक्षण सुनिश्चित

भारत ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत न्यूजीलैंड को सेब, कीवी फल और मनुका शहद पर दी जाने वाली कोटा-आधारित शुल्क रियायतों को कृषि उत्पादकता वाली कार्ययोजनाओं के क्रियान्वयन से जोड़ दिया है जिनकी निगरानी ‘संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद’ (जेएपीसी) करेगी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि यह व्यवस्था बाजार पहुंच और घरेलू कृषि के संवेदनशील क्षेत्रों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से की गई है। इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड ने भारत में सेब, कीवी और शहद क्षेत्रों की उत्पादकता, गुणवत्ता और क्षमताओं में सुधार के लिए लक्षित कार्ययोजनाओं पर सहमति जताई है। इस सहयोग के दायरे में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, बेहतर रोपण सामग्री की उपलब्धता, किसानों की क्षमता वृद्धि, बागवानी प्रबंधन में तकनीकी सहायता, कटाई के बाद की प्रक्रियाएं, आपूर्ति शृंखला और खाद्य सुरक्षा से जुड़े उपाय शामिल हैं। बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले सेब के उत्पादकों के लिए विशेष परियोजनाओं और टिकाऊ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने से देश में उत्पादन और गुणवत्ता मानकों में सुधार की उम्मीद जताई गई है। मंत्रालय ने कहा, “सेब, कीवी फल और मनुका शहद से जुड़े सभी शुल्क दर कोटा कृषि उत्पादकता कार्ययोजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े होंगे और जेएपीसी इनकी निगरानी करेगी।” न्यूजीलैंड ने दावा किया है कि वह इस समझौते के तहत अपने सेब पर शुल्क रियायत पाने वाला ‘पहला’ देश बन गया है। फिलहाल भारत सेब के आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाता है। लेकिन इस एफटीए के तहत न्यूजीलैंड से आयातित सेब को एक तय कोटा और न्यूनतम आयात मूल्य के अधीन शुल्क रियायत दी जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, न्यूजीलैंड से भारत में सेब का वार्षिक आयात 31,392.6 टन है, जिसका मूल्य 3.24 करोड़ अमेरिकी डॉलर है। यह भारत के कुल सेब आयात 5,19,651.8 टन (42.46 करोड़ डॉलर) का एक छोटा हिस्सा है। एफटीए के पहले वर्ष में न्यूजीलैंड को 32,500 टन सेब पर शुल्क रियायत मिलेगी। यह कोटा छठे साल तक बढ़ाकर 45,000 टन हो जाएगा जिस पर 25 प्रतिशत शुल्क और 1.25 डॉलर प्रति किलोग्राम का न्यूनतम आयात मूल्य लागू होगा। तय कोटे से अधिक आयात पर 50 प्रतिशत की दर से ही शुल्क लगेगा। एफटीए के तहत सेब, कीवी फल, मनुका शहद और एल्ब्यूमिन जैसे चुनिंदा कृषि उत्पादों के लिए शुल्क दर रेट (टीआरक्यू) कोटा प्रणाली, न्यूनतम आयात मूल्य और अन्य सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे। इससे गुणवत्ता युक्त आयात, उपभोक्ता विकल्प और घरेलू किसानों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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