कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हमला किए जाने की घटना ने भारतीय-कनाडाई समुदाय में रोष पैदा कर दिया है। इस हिंसक प्रदर्शन में खालिस्तानी चरमपंथियों ने भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाया, और कई रिपोर्टों के अनुसार महिलाओं और बच्चों पर भी हमला किया गया।
पील क्षेत्रीय पुलिस (PRP) के अनुसार, शुक्रवार को इस हिंसात्मक घटना के सिलसिले में 35 वर्षीय इंदरजीत गोसल को गिरफ़्तार किया गया, जो खालिस्तान समर्थक संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़ा बताया जा रहा है। गोसल पर ‘असॉल्ट विद अ वेपन’ का आरोप लगाया गया है और उन्हें कुछ शर्तों के साथ रिहा किया गया। उन्हें ब्रैम्पटन की ओंटेरियो कोर्ट में बाद में पेश होने के लिए कहा गया है। यह गिरफ्तारी मंदिर में हुए हमले के एक हफ्ते बाद हुई, जिसमें खालिस्तानी झंडे लेकर आए प्रदर्शनकारियों ने भारतीय अधिकारियों के साथ समारोह में भाग ले रहे लोगों पर हमला किया था।
पुलिस ने बताया कि घटना के बाद कई गिरफ्तारी हुई हैं और PRP की एक विशेष जांच टीम इस मामले की तहकीकात कर रही है। सोशल मीडिया पर इस हमले के वीडियो प्रसारित हो रहे हैं जिसमें मंदिर प्रांगण में लाठी-डंडों से हमला होते देखा जा सकता है।
इस घटना के बाद से ब्रैम्पटन और आसपास के क्षेत्रों में तनाव का माहौल है। यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब खालिस्तानी झंडों के साथ प्रदर्शनकारियों ने मंदिर में चल रहे एक कांसुलर कार्यक्रम को बाधित किया। यह कार्यक्रम भारतीय दूतावास और मंदिर प्रबंधन द्वारा सह-आयोजित था।
घटना की व्यापक निंदा हुई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, विपक्ष के नेता पियरे पोइलीवर, टोरंटो के सांसद केविन वूँग और एमपी चंद्रा आर्य ने इस हमले की कड़े शब्दों में आलोचना की। टोरंटो के सांसद ने कहा, “हमारे देश के नेताओं ने हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता दिखाई है।”
भारतीय उच्चायोग ने इस हमले को “हिंसक व्यवधान” करार दिया और इसे “भारत विरोधी तत्वों” का कृत्य बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों की तैयारी के अनुसार ही आयोजन किए जाएंगे।
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