राजेंद्र नगर में कोचिंग हादसे में किस विभाग की लापरवाही है और किसकी नहीं इसको लेकर जांच की फाइलें अलग-अलग विभागों में दौड़ाई जा रही हैं। हालात यह हैं कि विभिन्न विभागों के अधिकारी एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की तैयारी में लगे हैं। राजधानी में वैसे तो हर काम के लिए कई विभाग बने हुए हैं।
इन विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी तय है, लेकिन ले-देकर कागजों में खानापूर्ति की जाती है। ऐसे में लोगों की जान चली जाती है फिर कार्रवाई के नाम पर कुछ दिनों तक काम होता है उसके बाद स्थिति फिर पहले वाली हो जाती है।
उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो हाल के दिनों में करंट लगने से एक के बाद एक हादसे हुए, जिसमें लोगों की जान गई। इस मामले में क्या कार्रवाई की गई किसी को भी नहीं पता। बीते वर्ष भी करंट लगने से कई लोगों की जान गई थी उसमें भी यही स्थिति देखने को मिली। इस तरह के हादसे न हों, इसको लेकर विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाते। यही कारण है कि हर साल हो रहे हादसों में बेगुनाहों की जान जा रही है।
एमसीडी ने नहीं दी जानकारी, फायर विभाग ने रद्द की एनओसी
अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने बताया कि कोचिंग सेंटर को लेकर फायर एनओसी का नियम नहीं है। इमारत में किस तरह से इस्तेमाल होगा इस पर निर्भर करता है कि एनओसी दी जाए या नहीं। इमारत जिस विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है वह विभाग एनओसी के लिए अग्निशमन सेवा को कहता है। राव आईएएस इंस्टीट्यूट की एनओसी के लिए एमसीडी ने अग्निशमन सेवा से कहा था।
इस पर निरीक्षण के दौरान अग्नि सुरक्षा को लेकर सारे उपाय सही पाए गए। आपातकालीन दरवाजे थे। पानी के लिए विशेष तौर पर टंकी थी। बेसमेंट में भी अग्नि सुरक्षा के उपकरण थे। एनओसी देने के लिए जो भी नियम थे उन्हें जांचने के बाद एनओसी दी गई थी। एमसीडी के भवन विभाग की जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करे कि कहीं पर भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन न हो।
राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर की इमारत का नक्शा पास था व बेसमेंट में स्टोर और पार्किंग के लिए अनुमति दी गई थी। जब पार्किंग व स्टोर के लिए अनुमति दी गई थी तो यहां पुस्तकालय कैसे चल रहा था? यहां पर इस विभाग ने सीधे तौर पर लापरवाही की है। साथ ही एमसीडी ने अग्निशमन सेवा को यह जानकारी नहीं दी कि बेसमेंट में पुस्तकालय चल रहा है। जब हादसा हुआ उसके बाद अग्निशमन विभाग ने एनओसी रद्द की।
एमसीडी ने तीन मौतों के बाद बदली करवट
एमसीडी के मेंटेनेंस विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वह सड़कों पर अतिक्रमण न होने दे, नालों की सफाई का जिम्मा भी इस विभाग के पास है। ऐसे में विभाग ने दो कार्यों को लेकर सीधे तौर पर लापरवाही की है। एक तो इलाके में नालों पर अतिक्रमण, दूसरा नालों की सफाई पर लापरवाही। विभाग के पास यह भी जिम्मेदारी है कि जलभराव पर उसे तुरंत खत्म किया जाए, लेकिन राजेंद्र नगर हादसे में विभाग ने एक भी जिम्मेदारी नहीं निभाई। अब जब तीन की मौत हो गई, तब अतिक्रमण पर बुलडोजर चल रहा है।
बगल में है पुलिस बूथ
पुलिस के पास कानून-व्यवस्था के अलावा अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने और उस पर कार्रवाई करने का भी अधिकार है। राजेंद्र नगर के हादसे वाले कोचिंग सेंटर के पास ही पिंक पुलिस बूथ बना हुआ है। इसके बावजूद राव आईएएस इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में अवैध तरीके से पुस्तकालय चल रहा था। साथ ही नाले पर अतिक्रमण था। इसको लेकर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस चाहती तो वह पुस्तकालय बंद हो चुका होता।
हफ्तेभर पहले हुई थी छात्र की मौत
राजधानी में जलभराव के कारण करंट लगने से 13 जुलाई को महिला की मौत और 22 जुलाई को छात्र की मौत हुई। इसके बावजूद एलजी और दिल्ली सरकार को जलभराव से निपटने का ख्याल नहीं आया। कागजी खानापूर्ति के लिए बैठकें तो बहुत होती हैं, लेकिन जमीन पर उसका न के बराबर असर होता है। यही कारण है कि बार-बार एक ही तरह के हादसे हो रहे हैं और उसके बचाव काे लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता।