कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर कंडी मार्ग पर 19 फरवरी 2021 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जीएमओयू की बसों का संचालन बंद है। इस मामले में रामनगर निवासी पीसी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन किया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पीसी जोशी के आवेदन को स्वीकार कर 16 फरवरी को मामले में सुनवाई की गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश सरकार और जिम कार्बेट नेशनल पार्क प्रशासन को दो सप्ताह में मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि सरकार बताए कि यह रास्ता कोर जोन से गुजरता है या फिर बफर जोन से।
ब्रिटिश शासनकाल की सड़क
पीसी जोशी के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने बताया कि वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन किया गया था। आवेदक ने कोर्ट से इस मामले में उनकी बात भी सुनने की अपील की थी। उनकी दलील है कि कंडी रोड ब्रिटिश शासनकाल की सड़क है। जो जंगल के बीच से होकर नहीं, अपितु यह जंगल के कोने से होकर गुजरती है।
कहा कि उत्तराखंड के कुमाऊं में जहां भारतीय सेना का कुमाऊं रेजिमेंट का सेंटर है। वहीं गढ़वाल के लैंसडौन में गढ़वाल रेजिमेंटल सेंटर है। सामरिक दृष्टि से भी इस मार्ग का खुलना जरूरी है। कहा कि कोटद्वार-नजीबाबाद मार्ग के बीच जाफराबाद में एक जीर्ण-शीर्ण पुल है और पुल ध्वस्त होने पर उत्तराखंड का संपर्क कभी भी कट सकता है। इसलिए भी वैकल्पिक मार्ग का होना जरूरी है।
इस जंगल में बोक्सा और गुर्जर जनजातियां रहती हैं। बिना रोड के उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में आम आदमी के लिए यह रास्ता बंद करना उचित नहीं है। कहा कि विगत 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने मामले में सुनवाई की और प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि यह रास्ता कोर जोन से गुजरता है या फिर बफर जोन से। कोर्ट ने इस संबंध में उत्तराखंड सरकार और जिम कार्बेट नेशनल पार्क प्रशासन को दो सप्ताह और जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
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