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गुटनिरपेक्ष आंदोलन के राष्ट्राध्यक्षों ने की इस्राइल की आलोचना

इस्राइल और हमास के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है। अब तक दोनों पक्षों के हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच गुटनिरपेक्ष आंदोलन के राष्ट्रअध्यक्षों ने इस्राइली सैन्य अभियान को अवैध बताया। उन्होंने इस्राइली सैन्य अभियानों की कड़ी निंदा की। बता दें, इससे पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्राइल के हमलों का विरोध हो चुका है।

युगांडा की राजधानी कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन का शिखर सम्मेलन (एनएएम) आजयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में 120 सदस्य देशों के 30 राष्ट्राध्यक्षों सहित 90 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। एनएएम ने बयान में कहा कि हम गाजा की हालात के कारण चिंतित हैं। फलस्तीन में मानवीय संकट की भारी कमी है। इस्राइल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर आंदोलन है। सम्मेलन में यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इस्राइल और फलस्तीन के लिए दो राज्य का समाधान ही कारगर है। गुटेरेस ने कहा कि गाजा में संयुक्त राष्ट्र के 152 कर्मचारियों के लिए हत्या निराशाजनक है।

हमले के यह तीन कारण
हमास ने कहा कि ये यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इस्राइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। हमास ने कहा कि इस्राइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंक इसे अपवित्र किया था। इस्राइली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रही है और अतिक्रमण कर रही है। इस्राइली सेना हमारी महिलाओं पर हमले कर रही है। हमास के प्रवक्ता गाजी हमाद ने अरब देशों से अपील है कि इस्राइल के साथ अपने सभी रिश्तों को तोड़ दें। हमाद ने कहा कि इस्राइल एक अच्छा पड़ोसी और शांत देश कभी नहीं हो सकता है।

हमास और अन्य समूहों के 9000 लड़ाके ढेर
युद्ध की शुरुआत के बाद से गाजा पट्टी में आईडीएफ ने 9,000 से अधिक हमास सदस्यों और अन्य समूहों के लड़ाकों को मार गिराया है। इसके अलावा पिछले साल 7 अक्तूबर को इस्राइल के दक्षिणी हिस्से में बंदूकधारियों की घुसपैठ के दौरान करीब 1,000 लड़ाके मारे गए थे। हमले के दौरान हमास ने लगभग 1,200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जिनमें अधिकतर नागरिक थे। इसके साथ ही 240 से अधिक लोगों को बंधक भी बना लिया गया था।

गाजा में युद्ध में 16,000 बच्चे महिलाएं मरे : संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महिला’ (यूएन वीमेन) ने कहा, कि गाजा युद्ध में 16,000 बच्चे-महिलाएं मारे गए हैं। अनुमान है कि प्रत्येक घंटे में दो माताएं दम तोड़ रही हैं। 100 से अधिक दिन के संघर्ष के कारण कम से कम 3000 महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया है।

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