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फर्जी दस्तावेज पर फर्म की ID बना लाखों रुपए ठगने वाले 2 और आरोपी किए काबू

पानीपत जिले की थाना साइबर क्राइम पुलिस टीम के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। पुलिस ने फर्म के फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी वेबसाइट पर निर्यातक फर्म का रजिस्ट्रेशन कर 15.52 लाख रूपए की ठगी करने वाले गिरोह के दो आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है।

आरोपियों की पहचान मोहम्मद शकिल निवासी जामियानगर व अनुज निवासी सौरभ नागर दिल्ली के रूप में हुई। पुलिस ने शुक्रवार को दोनों आरोपियों को माननीय न्यायालय में पेश किया जहां से आरोपी मोहम्मद शकिल को न्यायिक हिरासत जेल भेजा गया व आरोपी अनुज से गिरोह के अन्य आरोपियों के ठिकानों का पता लगा काबू करने के लिए तीन दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया।

पहले भी 5 आरोपियों को किया था काबू 

इंस्पेक्टर अंकित ने बताया कि पुलिस ने मामले में पहले गिरफ्तार हो चुके आरोपी विष्णु निवासी ओल्ड चौपाल मैदान गढ़ी हाल किरायेदार घिटोरनी नई दिल्ली, तुषार निवासी सुरजकुंड फरीदाबाद, विभोर व विजीत निवासी जीवन नगर व प्रशांत निवासी पालम दिल्ली के कब्जे से वारदात में प्रयुक्त दो मोबाइल, एक लेपटॉप व 2 लाख रूपए कैश बरामद किया था। इसके अतिरिक्त आरोपियों के कब्जे से करीब 48 लाख रूपए कीमत का सोना व 18 लाख रूपए कैश बरामद कर 102 सीआरपीसी के तहत कब्जा पुलिस में लिया गया था। पुलिस ने पूछताछ व उक्त उपकरण, सोना व कैश बरामद कर पांचों आरोपियों को माननीय न्यायालय में पेश किया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत जेल भेज दिया था। पांचों आरोपियों ने पूछताछ में मोहम्मद शकिल निवासी जामियानगर व अनुज निवासी सौरभ नागर दिल्ली व अन्य कई साथियों के साथ मिलकर ठगी की उक्त वारदात को अंजाम देने बारे स्वीकारा था।

थाना साइबर क्राइम में एल्डिगों निवासी कुनाल ने बीते अगस्त में शिकायत देकर बताया था कि उसकी एंबिएंस एक्ट इंटरनेशनल नाम से एक फर्म है जिसकी प्रोपराइटर उसकी पत्नी शिप्रा धवन है। फर्म में वह निर्यात करते है। निर्यात करने पर सरकार की तरफ से प्रोत्साहन के रूप में कुछ सुविधाएं स्क्रिप्ट वितरण के रूप में दी जाती है। अज्ञात व्यक्ति ने उनकी फर्म के नाम पर फर्जी दस्तावेज उसकी पत्नी का आधार कार्ड, हस्ताक्षर, आईईसी सर्टीफिकेट तैयार कर सरकार की कस्टम की साइट पर नकली फोन नंबर और ईमेल आईडी का प्रयोग कर रजिस्ट्रेशन करा लिया। सरकार की तरफ से प्रोत्साहन के रूप में दी जाने वाली स्क्रिप्ट आरोपी ने जून 2022 से जुलाई 2022 के बीच पांच वितरण जनरेट कर 15.52 लाख रूपए उनकी अनुमति के बगैर किसी दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिए। वह फर्म का आइसगेट पर रजिस्ट्रेशन करने लगा, तब उसे उक्त फर्जीवाड़े का पता चला। शिकायत पर थाना साइबर क्राइम में धारा 419,420,467,468,471 आईपीसी के तहत अभियोग अंकित कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी।

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