हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या पड़ती है। इस प्रकार आज वैशाख अमावस्या है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने और पूजा, जप, तप और दान करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। इस दिन पितरों की भी पूजा करने का विधान है। अतः लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म भी करते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और प्रसन्न होकर अपने उत्तराधिकारी को सुख, शांति, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए, वैशाख अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो अमावस्या की तिथि 19 अप्रैल को 11 बजे से शुरू होकर 20 अप्रैल को 9 बजकर 41 मिनट तक है। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या है। इस दिन साधक सुबह 4 बजकर 23 मिनट से 11 बजकर 20 मिनट तक स्नान-ध्यान, पूजा, जप, तप और दान कर सकते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि अमावस्या के दिन दान करने से साधक को अगले जन्म में भी पुण्य प्राप्त होता है।
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर इष्ट देव को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा, जप, तप और दान करें। वे लोग जिनके पूर्वजों का पिंड दान नहीं हुआ है, वे इस दिन अपने पितरों को तर्पण कर सकते हैं। पूजा-पाठ के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके पश्चात जथा शक्ति तथा भक्ति भाव से दान दक्षिणा दें। विधि विधान से पूजा करने पर साधक पर भगवान विष्णु जी की कृपा बरसती है।
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