यूपी के फर्रूखाबाद जिले में कर्नाटक पुलिस के छापे के बाद चर्चा में आई ईरानी बस्ती कब्रिस्तान की भूमि पर बनी है। इसमें 12 परिवार रहते है। बस्ती के लोगों का दावा है कि वो पांच पीढ़ी पहले ईरान से आए थे।
कर्नाटक पुलिस के छापे के बाद शहर की ईरानी बस्ती फिर चर्चा में आ गई है। कब्रिस्तान की भूमि पर रह रहे इन लोगों का दावा है कि वह लोग पांच पीढ़ी पहले ईरान से हिंदुस्तान आ गए थे। करीब 25 वर्ष पहले उनके राशन कार्ड बन गए थे। उनके पास आधार कार्ड व वोटर आईडी भी हैं।शहर के मुहल्ला घेरशामू खां में ठंडी सड़क से सटे कब्रिस्तान की भूमि पर करीब 40 वर्ष से 12 परिवार रह रहे हैं। इन लोगों ने कब्रिस्तान की भूमि पर पक्के कमरे भी बना लिए हैं।
जागरण टीम बस्ती में पहुंची तो वहां गुलाम अली की पत्नी परी बेगम, सखावत की पत्नी निगार फात्मा, युवती भानू आदि महिलाएं व बच्चे मौजूद थे। पुलिस हिरासत में लिए गए असलम ने बताया कि वह लोग पांच पीढ़ी पहले ईरान से हिंदुस्तान आए थे। देश के कई हिस्सों में वह लोग पालीथिन व तिरपाल तानकर रह रहे हैं। उन्हें खानाबदोश कहा जाता था। वह लोग आपस में मादरी जुबान फारसी में बात करते हैं।
उनका मुख्य पेशा फेरी लगाकर चश्मा बेचना है। उसी से गृहस्थी चलाते हैं। उसने व उसके पिता ने ईरान नहीं देखा। उन्हें फर्रुखाबाद में स्थानीय लोगों ने कब्रिस्तान में रहने के लिए कह दिया था। तब से वह लोग यहीं रह रहे हैं। उनके पास आधार कार्ड, राशनकार्ड व मतदाता पहचानपत्र हैं। परी बेगम का मतदाता पहचानपत्र स्थानीय पते पर ही बना है, जबकि निगार फात्मा का पहचानपत्र जनपद मुरादाबाद थाना कटहर के मुहल्ला भदौरा देहात के पते पर बना है। निगार ने बताया कि फर्रुखाबाद में उनकी ससुराल है।
जबकि सखावत अली ने अपना आधार कार्ड भी दिखाया। विदित है कि ईरानी बस्ती में पहले भी दूसरे प्रांतों की पुलिस कई बार छापेमारी कर लोगों को पकड़कर ले जा चुकी है। आरोप है कि यह लोग दूसरे प्रांतों में चोरी, लूट व टप्पेबाजी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। शहर कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार शुक्ला ने कहा कि यहां पर उनका कोई मुकदमा नहीं हैं। यह लोग कब से और कैसे रह रहे हैं, इसकी जानकारी भी नहीं हैं। बस्ती में रह रहे लोग बाहरी हैं, इस पर बस्ती गए थे। वहां किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी।
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