अक्सर हम देखते हैं कि लोगों के साथ कुछ शारीरिक समस्याएं बार-बार देखने को मिलती है। जिनमें पेट, त्वचा और बाल संबंधी, बुखार, थकान, सूजन, बार-बार बीमार पड़ने, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द आदि बहुत आम हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आखिर क्यों होता है? दरअसल, यह कुछ लोगों में ऑटोइम्यून बीमारियों का संकेत हो सकती हैं। ऑटोइम्यून बीमारियां वह होती हैं, जिनमें हमारा इम्यून सिस्टम ही हमारे शरीर को कोशिकाओं पर हमला करने लगता है और नुकसान पहुंचाता है। गठिया, ल्यूपस, एलोपेसिया (पैच में बाल झड़ना), पेट संबंधी समस्याएं, सोरायसिस, सीलिएक रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि सभी ऑटोइम्यून बीमारियों हैं। हमारा इम्यून सिस्टम हमें स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिए एंटीबॉडी बनाने का काम करता है। लेकिन ऑटोइम्यून बीमारियों में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है।
बहुत से लोग अक्सर पूछते हैं कि ऑटोइम्यून बीमारियां क्यों होती हैं, या इनके क्या कारण हो सकते हैं? ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज ‘बीमारी को समझें’ में आपको आसान भाषा में किसी बीमारी और उसके कारण समझाते हैं। ऑटोइम्यून बीमारियां क्यों होती हैं और इसके कारणों के बारे में हम आपको इस लेख में विस्तार से बता रहे हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी क्यों होती है-
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार ऑटोइम्यून बीमारियों का सटीक कारण फिलहाल अभी ज्ञात नहीं हैं। इसके लिए कई कारण और जोखिम कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके लिए आमतौर पर व्यक्ति के जीन को एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। इसके अलावा कुछ वायरस, बैक्टीरिया या माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा दवाओं के सेवन से भी इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए जिम्मेदार अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं…
- स्मोकिंग करना
- पारिवारिक इतिहास (अगर पहले से परिवार में किसी को बीमारी रही है)
- स्टेनिन या एंटीबायोटिक दवाएं
- वायरस, बैक्टीरिया या विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना
- महिला होना (क्योंकि यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है)
ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज क्या है-
ऑटोइम्यून बीमारियों का फिलहाल कोई इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है। हालांकि आप इसके लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली, आनुवंशिकी और वातावरण भिन्न हो सकते हैं। इसके आधार पर ही डॉक्टर आपको उपचार प्रदान कर सकते हैं। आमतौर पर डॉक्टर आपको कुछ दर्द दवाएं, इंसुलिन इंजेक्शन, प्लाज्मा एक्सचेंज, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, रैश क्रीम आदि का सुझाव दे सकते हैं। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव और सप्लीमेंट्स भी दे सकते हैं, जो लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।