श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि उनकी सरकार पहाड़ी बागान क्षेत्रों में भारतीय मूल के तमिल श्रमिकों के श्रीलंकाई समाज से एकीकरण के लिए एक समिति की नियुक्ति करेगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र के कुछ तमिल श्रीलंकाई समाज से घुलमिल गए हैं, जबकि कुछ ऐसा नहीं कर पाए हैं। इनको श्रीलंकाई समाज से और जोड़ने के लिए उपाय किए जाएंगे।

विक्रमसिंघे ने रविवार को की टिप्पणी
विक्रमसिंघे ने रविवार को यह टिप्पणी कोलंबो में सेंट्रल प्रांत में भारतीय मूल के तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी सीलोन वर्कर्स कांग्रेस (सीडब्ल्यूसी) के अनुरोध पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी द्वारा दान की गई दवा की एक खेप को स्वीकार करने के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान की।
30 अक्टूबर 1964 को हुआ समझौता
राष्ट्रपति ने तत्कालीन भारतीय और श्रीलंकाई नेताओं के बीच समझौते को याद किया, जिसके तहत बागान क्षेत्र में काम करने वाले कुछ भारतीय मूल के तमिलों को लाया गया था। समझौते पर 30 अक्टूबर, 1964 को श्रीलंका और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों-सिरिमावो भंडारनायके और लाल बहादुर शास्त्री ने हस्ताक्षर किए थे।
गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहा श्रीलंका
बता दें, श्रीलंका इन दिनों गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहा है। इससे निपटने के लिए उसने भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट में से 12 करोड़ डालर के आवश्यक खाद्य पदार्थों का आयात करने केा फैसला लिया है। भारत ने एलओसी को बढ़ा दिया था। बताया जाता है कि एलओसी के लगभग 40 फीसद राशि का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है। एलओसी से मतलब एक पूर्व निर्धारित उधारी सीमा से है, जो किसी भी समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
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