अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपवास कर अहोई माता की पूजा करती हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं।
शाम 5:57 बजे से रात 7:12 बजे तक पूजा मुहूर्त
- अहोई अष्टमी 17 अक्तूबर सोमवार की सुबह 9:29 बजे से शुरू होकर 18 अक्तूबर की सुबह 11:57 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्तूबर को शाम 5:57 बजे से रात 7:12 बजे तक है। तारा देखने का समय शाम 6:20 बजे तक है। जबकि चंद्रोदय रात 11:35 बजे होगा।
आसमान में तारा देखकर व्रत का पारण
राष्ट्रीय सनातन एकता मंच और गो सेवा परिवार के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि संतान सुख, बच्चों की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस रात आसमान में तारा देखकर व्रत का पारण करती हैं। कई महिलाएं चांद देखकर भी पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को दूध-भात का भोग लगाती हैं। माता की पूजा में सफेद फूल अर्पित की जाती है। अष्टमी के दिन शिवलिंग का दूध से अभिषेक करने और शिव-पार्वती की पूजा करने तथा अहोई माता को सिंदूर अर्पित कर एवं श्रृंगार करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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