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अमेरिका ने एक बेहद खास दस्‍तावेज हाल ही में जारी किया, जानिए इसके बारें में..

पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीते कुछ माह में जिस तरह के संबंध दुनिया के सामने आए उसमें कुछ खिचड़ी पकती दिखाई दे रही थी। माना जा रहा था कि दोनों एक बार फिर से काफी करीब आ गए हैं। यूएस के एफ-16 पैकेज को लेकर इस बात की तस्‍दीक तक की जा रही थी। भारत को भी एक बार को इस गठबंधन पर चिंता होने लगी थी। लेकिन, अब अमेरिका के रणनीतिक दस्‍तावेजों ने पाकिस्‍तान की हवा निकाल कर रख दी है।

भारत खास तो पाकिस्‍तान नदारद 

अमेरिका ने आतंकवाद समेत जिन्‍हें सुरक्षा के लिए खतरा माना है उन पर रोकथाम के लिए बनाए गए उसके साझेदार इस बार दूसरे हैं। इतना ही नहीं सऊदी अरब का नाम भी इस दस्‍तावेज में नहीं लिया गया है। ये दस्‍तावेज बताता है कि दक्षिण और मध्‍य एशिया में जो चुनौतियां सामने हैं उनमें पाकिस्‍तान कहीं भी उसका सहयोगी नहीं है। वर्ष 2021 में भी जो दस्‍तावेज जारी किया गया था उसमें भी पाकिस्‍तान का नाम शामिल नहीं किया गया था। इतना ही नहीं इस दस्‍तावेज में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए उसको सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बताया है।

बेहद अहम है दस्‍तावेज

ये दस्‍तावेज कितना खास है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल अमेरिका इस दस्‍तावेज को रिलीज करता है। इसमें वो अपनी भावी रणनीति और इसके लिए अपने खास साझेदारों की भूमिका भी स्‍पष्‍ट करता है। इसके अलावा इसमें अमेरिका और विश्‍व की सुरक्षा को जिनसे सबसे अधिक खतरा होता है उसका भी जिक्र किया जाता है। इस दस्‍तावेज को US National Security Strategy 2022 के नाम से इस बार जारी किया गया है।

चीन रूस को माना सबसे बड़ा खतरा

इस दस्‍तावेज में अमेरिका ने देश और पूरे विश्‍व के लिए चीन को सबसे बड़ा खतरा माना है। इसके बाद इसमें रूस का नाम है। अमेरिका का मानना है कि ये दोनों ही अमेरिका के हितों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। इस दस्‍तावेज में यूक्रेन पर हुए रूस के हमले और वहां पर किए गए नरसंहार का भी प्रभाव साफतौर पर दिखाई दे रहा है। 48 पेज के इस अहम दस्‍तावेज में पाकिस्‍तान को अहम साझेदार के रूप में कहीं भी शामिल नहीं किया गया है।

पाकिस्‍तान और अमेरिका में आई दूरी

बता दें कि पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के समय से ही अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में एक खाई बनी हुई है जो लगातार चौड़ी हुई है। अमेरिका मानता है कि पाकिस्‍तान ने आतंकवाद को रोकने के नाम पर केवल दिखावा किया है। यही वजह थी कि ट्रंप ने अमेरिका को सैन्‍य मदद के तौर पर दी जाने वाली बड़ी राशि को मंजूर नहीं किया था। हालांकि, पाकिस्‍तान में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो ये मानते हैं कि उन्‍हें केवल एक टूल की तरह ही अमेरिका ने अब तक इस्‍तेमाल किया है। कुछ समय पहले पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी यूएनजीए के 77वें सत्र में हिस्‍सा लेने के लिए अमेरिका गए थे।

बिल्‍कुल उलट है कहानी

अमेरिका में बिलावल ने अपने समकक्षीय मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की थी जबकि पीएम शहबाज की राष्‍ट्रपति जो बाइडन से कोई मुलाकात नहीं हुई थी। इस दौरान बिलावल ने कहा था कि पाकिस्‍तान चीन और अमेरिकी संबंधों को सुधारने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। उस वक्‍त बिलावल ने दोनों देशों के बीच हुई मुलाकात को नए और मजबूत संबंधों की शुरुआत बताया था। लेकिन, अमेरिकी दस्‍तावेज जो कहानी बयां कर रहे हैं वो पूरी तरह से इसके उलट है।

ये भी हैं बड़े खतरे

अमेरिका के इस अहम दस्‍तावेज में चीन-रूस के अलावा बढ़ती महंगाई, क्‍लाइमेट चेंज, आर्थिक रूप से बढ़ती असुरक्षा की भावना को भी एक बड़ा खतरा बताया गया है। अमेरिका ने माना है कि उसकी चीन और रूस के साथ कड़ी प्रतियोगिता है। दस्‍तावेज में क्‍लाइमेट चेंज को लेकर आगाह किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि हम अब भी चूक गए तो फिर वापसी मुश्किल हो जाएगी।

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