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“वायनाड की जीत, प्रियंका की नई शुरुआत—संविधान के प्रति अडिग निष्ठा का संदेश।”

प्रियंका गांधी ने वायनाड उपचुनाव में 4,10,931 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की, बनीं लोकसभा सांसद

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को लोकसभा में वायनाड सीट के सांसद के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने भाई और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नक्शे कदम पर चलते हुए भारतीय संविधान की एक प्रति लेकर शपथ ग्रहण की।

यह पहला मौका है जब नेहरू-गांधी परिवार के तीनों सदस्य—सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी—एक साथ संसद का हिस्सा बने हैं।

प्रियंका की ऐतिहासिक जीत

प्रियंका गांधी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वायनाड से की और भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की। वायनाड, जो कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, में उनका मुकाबला बीजेपी की नव्या हरिदास और सीपीआई के सत्यन मोकेरी से था।

यह सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीत दर्ज की थी। राहुल ने रायबरेली सीट को प्राथमिकता देते हुए वायनाड सीट छोड़ दी, जिससे उपचुनाव की स्थिति बनी।

संविधान के प्रति प्रतिबद्धता

प्रियंका गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी के समान व्यक्तित्व और भाषण शैली के लिए जाना जाता है। शपथ लेते समय उन्होंने संविधान को हाथ में लिया, जो उनके लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।

इससे पहले, राहुल गांधी ने भी सांसद के रूप में शपथ लेते हुए “जय हिंद, जय संविधान” के नारों के साथ अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। कांग्रेस नेता अक्सर संविधान की लाल रंग की प्रति को अपने भाषणों और रैलियों में साथ रखते हैं, जिसे वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ “संविधान बचाओ आंदोलन” का हिस्सा मानते हैं।

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