सोने की तरह चांदी के जेवरों को भी हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन (एचयूआईडी) के दायरे में लाने की तैयारी है। भारतीय मानक ब्यूरो ने इसके लिए 22 जुलाई को सभी हितधारकों की बैठक बुलाई है। चांदी पर हॉलमार्क को किस तरह लागू किया जाए, बैठक में इस पर चर्चा होगी। तीन वर्ष पहले 16 जून 2021 को सोने पर हॉलमार्क को अनिवार्य किया गया था। ग्राहक सोने के जेवरों पर दर्ज एचयूआईडी से निर्माता और उसे हॉलमार्क करने वाले केंद्र की जानकारी कर सकता है। हॉलमार्क अनिवार्य होने से सोने के जेवरों की गुणवत्ता को लेकर होने वाली शिकायतें काफी कम हुई हैं।
बैठक के बाद चांदी के जेवरों पर भी जल्द व्यवस्था लागू होने की उम्मीद जताई जा रही है। देश में चांदी के जेवरों की गुणवत्ता को लेकर अभी कोई मानक नहीं हैं। ज्यादातर जेवर 40, 45 और 50 प्रतिशत की गुणवत्ता के बन रहे हैं। बाकी हिस्सा गिलट का रहता है जबकि 65 से 80 प्रतिशत की गुणवत्ता वाले चांदी के जेवर अच्छे माने जाते हैं। बिछिया और पायल तो और भी कम गुणवत्ता के बनाए जा रहे हैं। सोने के जेवरों पर एचयूआइडी के तीन वर्ष पूरा होने पर दैनिक जागरण ने चांदी के जेवरों की गुणवत्ता को लेकर जानकारी दी थी कि देश में चांदी के जेवरों के नाम पर ग्राहकों से छल हो रहा है।
चांदी के जेवर खरीदते समय उसके भार के हिसाब से चांदी की कीमत और बनाने का शुल्क लिया जाता है। उसमें आज 90 हजार रुपये प्रति किलो चांदी का भाव मानकर 200 ग्राम की पायल खरीदी जाए तो वह 18 हजार रुपये से ज्यादा की मिलेगी लेकिन जब उसे बेचा जाता है तो उसमें 50 प्रतिशत ही चांदी निकली तो वापस वह नौ हजार रुपये में ही होगी।
इस तरह 100 ग्राम चांदी का मूल्य तो नौ हजार रुपये हुआ लेकिन बाकी 100 ग्राम गिलट का मूल्य भी ग्राहक से नौ हजार रुपये ले लिया जाता, जबकि जेवर बेचते समय उसका मूल्य शून्य हो जाता है। ग्राहकों के लिए हितों का ध्यान रखते हुए भारतीय मानक ब्यूरो ने 22 जुलाई को चांदी के जेवरों पर एचयूआइडी लागू करने के लिए बैठक बुलाई है। बैठक में शामिल होने के लिए कानपुर से ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के प्रेसिडेंट पंकज अरोड़ा को भी बुलाया गया है। उनके मुताबिक चांदी के जेवरों की आज जो गुणवत्ता है, उसे देखते हुए उसमें भी हॉलमार्क अनिवार्य करना जरूरी है।
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