Monday , December 9 2024

जानें कब है शीतला अष्टमी…

शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी का त्योहार होली से ठीक आठ दिन बाद आता है। इस साल शीतला अष्टमी 15 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन मां शीतला का पूजन करने से कई तरह के दुष्प्रभावों से भक्तों को मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने से कई तरह के रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही लोग पूरे साल चर्म रोग व चेचक जैसी बीमारियों से दूर रहते हैं।

शीतला अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त-

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक है। 

मां शीतला को लगाते हैं बासी खाने का भोग-

शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को बासी ठंडे खाने ही भोग लगाते हैं, जिसे बसौड़ा कहा जाता है। यही बासा भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

शीतला अष्टमी का महत्व-

शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। माता शीतला की पूजा से पर्यावरण को स्वच्छ व साफ रखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। ऋतु परिवर्तन होने के संकेत मौसम में कई प्रकार के बदलाव लाते हैं और इन बदलावों से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना जाता है। मान्यता है कि अष्टमी तिथि के बाद बासी खाना नहीं खाया जाता है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि-

सबसे पहले शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें।  पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें। दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।  दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें। अब शीतला माता की पूजा करें। माता को सभी सामग्री अर्पित करने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं। मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें। आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें। अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें। इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं। घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें। अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com