कर्नाटक के शिवमोग्गा में एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बीच एक अलग केमिस्ट्री देखने को मिली। गाड़ी से उतरते ही पीएम मोदी येदियुरप्पा का हाथ थामे मंच की ओर बढ़े। येदियुरप्पा के प्रति पीएम मोदी की तरफ से दिए जाने वाले इस सम्मान के खास माएने हैं। लिंगायत सुमदाय का वोट बैंक कर्नाटक में चुनाव के लिए काफी अहम रहता है। विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक में पीएम नरेंद्र मोदी ने लिंगायतों के वोटों को अपने हित में करने के लिए एक और कदम बढ़ाया। पीएम मोदी ने लिंगायत समुदाय के सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियत बीएस येदियुरप्पा के प्रति गर्मजोशी दिखाई और उनके 80वें जन्मदिन पर शिवमोग्गा हवाईअड्डे की शुरुआत करने का फैसला लिया।
पीएम मोदी की योजना को राजनीतिक महत्व के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच मधुर संबंध कोई नई बात नहीं है। कर्नाटक की सियासत में येदियुरप्पा और बीजेपी के संबंध में पीएम मोदी का अहम हाथ रहा है। एक वक्त में बीजेपी से अलग हो चुके येदियुरप्पा पीएम मोदी के कहने पर भी फिर से पार्टी में शामिल हुए और अपनी पार्टी केजेपी का बीजेपी में विलय कर दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी की तरफ से लिंगायत राजनीतिक शख्सियतों की तारीफ राज्य में बीजेपी के लिए अलग रुख तैयार करेगी। पीएम मोदी ने लिंगायत समुदाय से आने वाले कांग्रेसी नेताओं की भी तारीफ की। उधर गृहमंत्री अमित शाह भी लिंगायत समुदाय के बीच जा चुके हैं और उन्होंने बीजेपी और येदियुरप्पा के लिए वोट करने की शिफारिश की। हालांकि, येदियुरप्पा इस बार व्यक्तिगत तौर पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में पुराने कांग्रेसियों के घावों पर मरहम लगाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पुरानी पार्टी ने कर्नाटक के राजनीतिक हस्तियों, एस निजलिंगप्पा और एम वीरेंद्र पाटिल, दोनों पूर्व सीएम के साथ बुरा व्यवहार किया। दोनों नेता लिंगायत थे। विश्लेषकों का मानना है कि 1990 में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने एम वीरेंद्र पाटिल को मुख्यमंत्री पद से हटाया उससे लिंगायतों के वर्ग को गहरा दुख हुआ।
लिंगायतों में हैं कांग्रेस की गहरी पैठ
हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है लिंगायत बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस का अपना प्रभाव है। कांग्रेस ने हमेशा बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 38% वोट पाकर कांग्रेस ने बीजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया और बीजेपी के 36.22% से थोड़ा आगे निकल आई। पांच साल पहले, कांग्रेस को 36.59% वोट मिले थे, जिससे बीजेपी तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी। 2018 के विधानसभा चुनावों में भी कड़ी टक्कर के कारण बीजेपी विधानसभा में बहुमत से पीछे रह गई थी।