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ऐसे खेली जाती है बाबा महाकाल के दरबार में होली?

देश भर में हर्षोल्लास के साथ होली खेली जाती है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि से रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व में सबसे पहले होली कहां और कौन खेलते हैं। आइए जानते हैं।

 प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम से होली पर्व की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में 08 मार्च 2023, बुधवार के दिन होली हर्षोल्लास के साथ खेली जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध मंदिर बाबा महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली खेली जाती है और यहीं सबसे पहली होलिका भी प्रज्वलित की जाती है? बता दें कि हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले सभी प्रमुख त्योहार सबसे पहले बाबा महाकाल के मन्दिर में मनाए जाते हैं। आइए जानते हैं कितनी खास होती है बाबा महाकाल के दरबार की होली।

बाबा महाकाल मंदिर में पहले दिन होलिका दहन की परंपरा है और उसके बाद शयन आरती व सुबह भस्म आरती के बाद फूल और गुलाल से होली खेलने की विशेष परंपरा है। बाबा महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली खेलने की परंपरा आज से नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही है। इस विशेष दिन के लिए रंगों को खास फूलों से तैयार किया जाता है। रंगवाली होली के दिन सुबह 04 बजे भस्म आरती के बाद हर्ष और उल्लास के साथ होली खेली जाती है। साथ ही देश विभिन्न हिस्सों से बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आए भक्त भी एक दूसरे पर रंग लगाते हुए होली की बधाई देते हैं।

महाकाल नगरी में होलिका दहन पर भी एक अद्भुत दृश्य देखने मिलता है। इस दिन महाकाल नगरी उज्जैन के कार्तिक चौक पर लगभग 5 हजार कंडों से होलिका तैयार की जाती है और श्री हरि भक्त प्रहलाद को एक झंडे के रूप में होलिका के बीच में गाड़ा जाता है। विशेष बात यह है कि होलिका के जलने के बाद यह झंडा सुरक्षित रहता है और होलिका की राख को लोग अपने घर ले जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका राख से किए कुछ उपायों से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर से नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है।

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