भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि केंद्रीय बजट का सर्वाधिक लाभ बिहार को मिलेगा। केन्द्रांश के रूप में बिहार को 1 लाख 2 हजार करोड़ मिलेंगे। विभिन्न योजनाओं के मद में 60 हजार करोड़ एवं 13 हजार करोड़ का ब्याज रहित ऋण के रूप में मिलना है। मंगलवार को भाजपा कार्यालय में बजट पर आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने 10 लाख करोड़ के पूंजीगत व्यय का ऐतिहासिक प्रावधान किया है। इससे देश भर में विकास की गति तेज होगी एवं करोड़ों की संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
विशेष राज्य की मांग को किया था खारिज इससे पहले सुशील मोदी ने विशेष राज्य की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि विपक्षी सोच की सुई विशेष राज्य की मांग पर अटक गई है, इसलिए बजट से मिले बड़े-बड़े फायदे भी उसे दिखाई नहीं पड़ते। विशेष राज्य की मांग तो यूपीए के जमाने में खारिज हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सभी पैक्सों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 2516 करोड़ और कृषि ऋण से किसानों की मदद के लिए 20 लाख करोड़ का प्रावधान ग्रामीण अर्थव्यवथा को गति और शक्ति प्रदान करेगा। यह बजट किसानों पर अमृत वर्षा करने वाला है। उन्होंने कहा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुजुर्गो, महिलाओं और मध्यम वर्ग के लिए कई घोषणाएं की हैं।
आम बजट से बिहार को सबसे ज्यादा लाभ उन्होने कहा था कि अमृत काल के आम बजट का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे गरीब राज्यों को मिलेगा। इस बजट से बिहार को केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में 1 लाख 7 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। पिछले वर्ष की तुलना में यह राशि 25,101 करोड़ रुपये अधिक होगी। मोदी ने ये भी कहा कि जिस प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के सबसे ज्यादा आवास बिहार में बनते हैं, उसमें 66 फीसद की भारी वृद्धि कर इसमें 79000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भारत में 21वीं शताब्दी के अनुकूल अवसंरचनाओं को विकसित किया जा रहा है, जिससे व्यापार में सुगमता होगी। इस कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजीव चौरसिया, भाजपा के उपमुख्य सचेतक जनक सिंह, मनोज शर्मा, संतोष पाठक, अशोक भट्ट उपस्थित थे।
नीतीश कुमार ने बताया था निराशाजनक बजट वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बजट को बिहार के लिए निराशाजनक बताया था। और कहा था कि बजट में दूरदर्शिता का अभाव है। बिहार को स्पेशल स्टेटटस दिए जाने की मांग को फिर से दरकिनार कर दिया है। बजट की प्राथमिकता हर साल बदलती है। जो फोकस और फंड की कमी की वजह से पूरी नहीं हो पाती है।