तमाम उठापटक और खींचतान के बाद आखिरकर दिल्ली को अपना नया मेयर मिल गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता शैली ओबरॉय ने मेयर का चुनाव जीत लिया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के 80 दिन बाद और चौथे प्रयास में हुई वोटिंग में शैली ने भाजपा की रेखा गुप्ता को बेहद कड़े मुकाबले में मात दी। हालांकि, भाजपा अंतिम समय तक अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही थी। मेयर के बाद अब डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव होना है।
एमसीडी मेयर चुनाव के लिए कुल 266 वोट डाले गए थे। इनमें से शैली को 150 और भाजपा की रेखा गुप्ता को 116 वोट मिले। एमसीडी के कुल 250 में से 241 पार्षदों ने वोट डाले, जबकि कांग्रेस के 9 पार्षदों ने मेयर चुनाव का बहिष्कार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने पिछले सप्ताह मेयर पद का चुनाव कराने के लिए बुधवार को निगम सदन की बैठक बुलाने की मंजूरी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को महापौर, उप महापौर और नगर निकाय की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख तय करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की पहली बैठक बुलाने के लिए 24 घंटे के भीतर नोटिस जारी करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबरॉय की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया था कि एलजी द्वारा एमसीडी में नामित सदस्य मेयर चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।
तीन बार नाकाम रही थी कोशिश
दिल्ली नगर निगम चुनाव हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है। MCD चुनाव पिछले साल 4 दिसंबर को हुए थे। नगर निगम चुनाव के एक महीने बाद 6 जनवरी को पहली बार सदन की बैठक बुलाई गई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों के बीच तीखी बहस के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद 24 जनवरी और फिर 6 फरवरी को बुलाई गई दूसरी और तीसरी बैठक भी इस कवायद को पूरा करने में विफल रही और दोनों बैठकों को महापौर का चुनाव किए बिना स्थगित कर दिया गया था।
‘आप’ एमसीडी में सबसे बड़ी पार्टी
गौरतलब है कि 7 दिसंबर को आए एमसीडी चुनाव के नतीजों में ‘आप’ कुल 250 में से 134 वार्डों पर जीत हासिल कर स्पष्ट विजेता के रूप में उभरी थी और एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा ने 104 वार्ड जीतकर दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि कांग्रेस के हिस्सा में केवल नौ सीटें आई थीं।
कौन-कौन डालता है वोट
मेयर के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद, 7 लोकसभा सांसद और दिल्ली के 3 राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल थे। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में ‘आप’ के 13 और भाजपा के एक सदस्य को मनोनीत किया था। मेयर चुनावों में कुल वोटों की संख्या 274 थे और जीत के लिए 138 वोट जरूरी थे। नंबर गेम के हिसाब से ‘आप’ के पास 150 वोट और भाजपा 113 वोट थे।