मध्य प्रदेश सरकार और संगठन में बदलाव के कयासों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान का अहम बयान आया है। उन्होंने कहा कि मैं तो पार्टी के कार्यक्रमों में भी दरी भी बिछाने के लिए तैयार हूं। मैं अपने बारे में कोई भी फैसला खुद नहीं कर सकता। मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं तो एक आम कार्यकर्ता ही हूं। अपने बारे में कोई फैसला नहीं ले सकता। मध्य प्रदेश में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले राज्य सरकार में परिवर्तन होने की चर्चाएं तेज हैं। इसके अलावा संगठन में भी अहम फेरबदल किए जा सकते हैं।

इसी संबंध में सवाल किए जाने पर शिवराज सिंह चौहान ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘मैं पार्टी के लिए क्या काम करूंगा। यह फैसला खुद नहीं ले सकता। यदि पार्टी मुझे कहती है कि मैं कार्यक्रमों में दरी बिछाऊं तो वह मैं करूंगा। एक अच्छा कार्यकर्ता वही होता है, जो अपने लिए खुद ही फैसले न करे। यह पार्टी पर ही छोड़ना चाहिए कि वह तय करे कि कौन सा कार्यकर्ता किस लेवल पर अच्छा काम कर सकता है।’ हाल ही में इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस का सफल आयोजन करने वाले शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में मामा जैसे उपनाम से लोकप्रिय रहे हैं। फिलहाल वह दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में हिस्सा लेने आए हैं।
गुजरात का फॉर्मूला MP में भी लागू करने की तैयारी
राज्य में भाजपा की चुनावी तैयारियों को लेकर शिवराज ने कहा कि हमें जीत का भरोसा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए तो हर साल ही चुनावी वर्ष होता है। हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव की टेंशन तो उन लोगों को होती है, जो 4 साल तक काम नहीं करते हैं और चुनावी वर्ष में ही काम शुरू करते हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए पहले ही तैयारियां तेज कर दी हैं। चर्चा है कि गुजरात चुनाव की तर्ज पर यहां भी करीब 40 फीसदी विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं ताकि ऐंटी-इनकम्बैंसी को मात दी जा सके।
क्यों मामा के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा दिख रही टेंशन
इसी रणनीति के तहत कैबिनेट में भी बदलाव हो सकता है और कुछ नए चेहरों को लाया जा सकता है। माना जा रहा है कि इनके जरिए भाजपा क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने का प्रयास करेगी। बीते करीब दो दशकों से शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता बने हुए हैं। हालांकि कुछ सालों से राज्य में सत्ता के कई केंद्र बनते दिखे हैं। एक तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया का चंबल क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है तो वहीं उमा भारती भी सक्रिय रहती हैं और खासतौर पर ओबीसी वोटरों पर अपना असर रखती हैं। वहीं नरोत्तम मिश्रा और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को लेकर भी हमेशा से चर्चाएं रही हैं।
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