हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में पीतल के अलावा तांबा के बर्तनों का इस्तेमाल करना सबसे शुभ माना जाता है। तांबे के लोटे से ही भगवान सूर्य को अर्घ्य करने से सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि तांबा पूरी तरह से शुद्ध होता। इसे बनाने में किसी भी दूसरी धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर पूजा के दौरान तांबा के बर्तनों का इस्तेमाल करना इतना शुभ क्यों माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार तांबा स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरिया जैसे तत्व पाए जाते हैं जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। रोजाना तांबे के बर्तन का पानी पीने से कई तरह की बीमारियों से बचाव हो जाता है।
धार्मिक मान्यता
तांबा में किसी भी तरह की धातु की मिलावट नहीं की जाती है। जिसके कारण यह धातु पूर्ण रूप से शुद्ध होती है। इसके अलावा तांबे के बर्तन इस्तेमाल करने से कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और मंगल की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही पूजा के बाद इसमें मौजूद जल का पूरे घर में छिड़काव किया जाता है, जिससे कि नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है।
पौराणिक कथा
तांबे की धातु को लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। इसके अनुसार प्राचीन काल में गुडाकेश नाम का एक राक्षस था। लेकिन वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार गुडाकेश ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। लंबे समय तक तपस्या करने के बाद भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। तब राक्षस ने कहा कि मेरी मृत्यु आपके सुदर्शन चक्र से हो। इसके साथ ही मेरा शरीर तांबे का हो जाए और इस धातु का इस्तेमाल आपकी पूजा के लिए किया। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राक्षस के कई कई टुकड़े कर दिए। गुडाकेश की मांस से तांबे की धातु का निर्माण हुआ। इसी कारण भगवान विष्णु की पूजा के लिए तांबे से बनी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।