मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ग्राम प्रधानों से कहा कि सरकार उनका मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने यह यह आश्वासन ग्राम प्रधानों के आवेदन पर दिया। सीएम साहिबगंज दौरे के दूसरे दिन बुधवार को पतना में ग्राम प्रधान सम्मान समारोह को संबोधित करने पहुंचे थे। सम्मेलन में ग्राम प्रधानों ने मुख्यमंत्री से मानदेय बढ़ाने की मांग की थी। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री को आवेदन भी सौंपा।

मुख्यमंत्री ने इस मसले पर विचार का भरोसा दिया है। समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम प्रधानों पर अपने मौजा की जमीन, रीति-रिवाज व संस्कृति की रक्षा करने का दायित्व है। उन्होंने कहा कि पूर्वजों के समय में मांझी-परगना व्यवस्था का खास महत्व था। अब धीरे-धीरे यह खत्म होती जा रही है। उन्होंने कहा कि मांझी-परगना व्यवस्था अब नाम मात्र का रह गया है। यह चिंता का विषय है।
कार्यक्रम में उपस्थित ग्राम प्रधानों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आवेदन देकर झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में असंवैधानिक ढंग से गठित पंचायत व्यवस्था एवं नगर पालिका व्यवस्था को रद्द करने की मांग की। ग्राम प्रधान अलोसियुस मुर्मू ने कहा कि झारखंड में भी पेसा कानून 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों के लिए अविलंब नियमावली बनाने, पारंपरिक प्रबंध करने वाली ग्राम सभा को शक्ति देने, संताल परगना में सर्वे सेटलमेंट कार्य को जल्द पूरा करने तथा मुख्यमंत्री द्वारा घोषित ग्राम प्रधानों के माध्यम से विकास के लिए 25 लाख रुपए खर्च करने के वादे को पूरा करने की मांग की गई है। कार्यक्रम में राजमहल सांसद विजय हांसदा, जिला परिषद अध्यक्ष मोनिका किस्कू और सभी वरीय अधिकारी मौजूद थे।
सीएम की अपील, सरकार की आंख बनें ग्राम प्रधान
मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों से सरकार की आंख बनकर काम करने एवं विकास व कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाने की अपील की। मौके पर उन्होंने कई ग्राम प्रधानों को नियुक्ति पत्र सौंपा। उपस्थित ग्राम प्रधानों को पगड़ी व पंछी (आदिवासी परिधान) भेंटकर सम्मानित किया।
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