यूएस में अगस्त महीने की मुद्रास्फीति का डाटा जारी होने के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में मंदी की आशंका ने पैर पसार लिए हैं। अमेरिकी सीपीआई डाटा जारी होने के बाद वॉल स्ट्रीट दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। उम्मीद से अधिक मुद्रास्फीति के कारण अमेरिकी शेयर बाजारों में जमकर बिकवाली हुई और सभी सूचकांक लाल निशान पर समाप्त हुए .
सभी तीन प्रमुख अमेरिकी स्टॉक इंडेक्स तेजी से गिरे। डाओ जोंस 3.94 फीसदी, नैस्डैक 5.16 फीसदी, S 500 4.32 फीसदी और स्मॉल कैप 2000 4.20 फीसदी गिरा। पिछले चार दिन से शेयरों में तेजी देखी जा रही थी। ऐपल इंक, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प और अमेजन डॉट कॉम तक के शेयर भी गिरावट से नहीं बच सके। जोखिम-रहित ट्रेड इमोशंस ने हर प्रमुख क्षेत्र को नकारात्मक स्तर पर खींच लिया।
सताने लगा दरों में वृद्धि का डर
बाजार को आशंका है कि फेडरल रिजर्व आने वाले महीनों में अपनी नीति को कड़ा कर सकता है। फेडरल रिजर्व अगले सप्ताह होने वाली नीतिगत बैठक में ब्याज दरों में 75 बेस-पॉइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। अगर मुद्रास्फीति के आंकड़े कमजोर होते तो फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कम वृद्धि करता। फेड ने इस साल अपनी बेंचमार्क ब्याज दर चार बार बढ़ाई है।
क्या कहते हैं अमेरिका में महंगाई के आंकड़े
हालांकि गैस और सेकंड हैंड कारों के सस्ते होने से अमेरिका में मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने घटी है, लेकिन अब भी यह उम्मीद से ज्यादा है। रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम बढ़ने से यह स्पष्ट है कि हाल-फिलहाल अमेरिकी लोगों को महंगाई से निजात मिलने की संभावना नहीं है। इन्फ्लेशन डाटा से पता चलता है कि भोजन, आवास और ऑटो की लागत बढ़ रही है।
भारत पर क्या होगा असर
अमेरिकी बाजारों की हालत को देखते हुए भारतीय बाजारों के लिए आज का दिन काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। इसके चलते आज घरेलू बाजारों में शुरुआती कारोबारी सत्र में माध्यम से तेज गिरावट देखने को मिल सकती है।
एशियाई बाजारों से मिलने वाले संकेत कतई शुभ नहीं हैं। बुधवार सुबह के सत्र में जापानी निक्केई 2.10 फीसदी, हांगकांग का हैंग सेंग 2.29 फीसदी और चीनी शंघाई 0.74 फीसदी की गिरावट के साथ खुले। भारतीय शेयर बाजार का पथ-प्रदर्शक कहा जाने वाला एसजीएक्स निफ्टी बुधवार की सुबह के सौदों में 321 अंक नीचे 17,786 के स्तर पर है। इसका मतलब है कि आज बाजार में सेंटीमेंट खराब है।