भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति बाजार की उम्मीदों से ज्यादा आक्रामक है। हाल ही में MPC (मौद्रिक नीति कमिटी) ने एकमत से नीतिगत रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है, जो कि बाजार के 35 बेसिस पॉइंट के अनुमान से ज्यादा है। MPC ने अपनी पिछली पॉलिसी रुख को बनाए रखा है कि ”समायोजन को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महंगाई आगे चलकर लक्ष्य के भीतर रहे और ग्रोथ को सहारा मिले।”
प्रोफेसर जे. आर. वर्मा ने इस रवैए का विरोध किया, हालांकि यह साफ नहीं है कि इस रवैए पर उनका क्या कहना था। MPC ने वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी में बढ़त और महंगाई का अनुमान क्रमश: 7.20% और 6.70% रखा है।
पिछली MPC बैठक से ही यह देखा गया कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में आक्रामक तरीके से बढ़त की है और रुपये सहित ज्यादातर उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव बना है। अमेरिका और यूरोप में लॉन्ग टर्म के बॉन्ड यील्ड में जून के उच्च स्तर से क्रमश: 70 और 80 बेसिस पॉइंट की कमी आने के साथ ही मंदी की आशंका गहरी हुई है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में कमोडिटी की कीमतें भी अपने शीर्ष स्तर से नीचे आई हैं जिससे महंगाई को कुछ राहत मिल जाएगी।।
RBI गवर्नर ने यह कहा है कि भारत में महंगाई का शीर्ष स्तर शायद अब गुजर चुका है, लेकिन वित्त वर्ष 22-23 की तीसरी तिमाही तक यह 6% से ऊपर ठहरा रह सकता है। गवर्नर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता को देखते हुए MPC ने नपा-तुला कदम उठाया है।
पॉलिसी के ऐलान के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक गवर्नर ने फिर से मौजूदा महंगाई के हालात में आपूर्ति पक्ष के कारकों के हावी रहने की प्रकृति को रेखांकित किया।
बाजार की प्रतिक्रिया
बॉन्ड बाजार यह उम्मीद कर रहा था कि रिजर्व बैंक रेट में 35 बेसिस पॉइंट की बढ़त करेगा और भविष्य में दरें बढ़ाने के बारे में कुछ हद तक एक दिशा बताएगा। लेकिन इस पहलू पर कोई स्पष्टता न होने से बाजार को निराशा हुई है।
इस पॉलिसी के आने के पहले ही बॉन्ड यील्ड समूचे कर्व में बढ़ चुका है। पॉलिसी से पहले 10 साल का बेंचमार्क यील्ड 7.11% के निचले स्तर पर था, लेकिन पॉलिसी के बाद 10 साल का बेंचमार्क सिक्योरिटी पिछले बंद स्तर से 13 बेसिस पॉइंट की बढ़त के साथ 7.29% पर कारोबार कर रहा था।
कमोडिटी की कीमतों में नरमी की वजह से पिछले एक महीने में यील्ड में तेजी आई थी और मंदी की आशंका गहराने से अमेरिकी यील्ड में नरमी आई। हमारा मानना है कि बॉन्ड आगे भी वैश्विक संकेत और कमोडिटी कीमतों में बदलाव के हिसाब से चलेंगे।
जैसा कि RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई का शीर्ष स्तर शायद गुजर चुका है, हमारा भी यह मानना है कि अगर कमोडिटी की कीमतें टिकी रहती हैं तो आगे चलकर महंगाई नीचे आएगी, हालांकि भू-राजनीतिक जोखिम बने रहेंगे।
अब मौद्रिक नीति पर रिजर्व बैंक का रवैया आगे भी काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि देश का बाकी दुनिया से हिसाब-किताब कैसा रहता है, रुपये की दिशा और चालू खाते के घाटे पर ध्यान बना रहेगा। व्यापार घाटे में बढ़त और वित्त वर्ष 2023 में चालू खाते का घाटा 3.4% से 3.5% तक रहने का विश्लेषकों का अनुमान निश्चित रूप से रिजर्व बैंक के भविष्य के कदमों पर असर डालेगा।
फिलहाल स्वैप्स मार्केट में 1 साल का फॉरवर्ड रेट 6.20% है, यह जून में हुई रिजर्व बैंक की पिछली पॉलिसी मीटिंग के बाद दिखे 7.20% रेट से कम है। हमारा यह मानना है कि आगे चलकर RBI रेट बढ़त की रफ्तार कम करेगा और अप्रैल 2023 तक पॉलिसी रेपो रेट 6.00% से 6.25% के बीच रहेगा।
कहां करें निवेश
हमारा यह सुझाव है कि शॉर्ट ड्यूरेशन वाले उत्पादों में निवेशक अपना निवेश बढ़ा सकते हैं, साथ ही वे अपने जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप चयनात्मक रूप से डायनामिक बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं।