कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक ड्रग एडिक्ट को शराब या अन्य प्रकार के नशे से मुक्ति के लिए इलाज कराने की अनुमति दे दी है और उसके खिलाफ Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (NDPS) Act के तहत दर्ज मामले पर रोक भी लगा दी है। कोर्ट ने ड्रग एडिक्ट को मान्यता प्राप्त अस्पताल से इलाज कराने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने हाल ही में दिए अपने फैसले में कहा है कि अस्पताल में की गई उपचार या अन्य किसी भी प्रोग्राम के पूरा होने पर याचिकाकर्ता को इस संदर्भ में एक रिपोर्ट दर्ज कर इलाज की सफलता और स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बतानी होगी।

भारी मात्रा में नशीली दवाईयां हुई थी बरामद
इस मामले में एक 34 साल के व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से खुद को नशा मुक्ति केंद्र भेजने को कहा था। मालूम हो कि, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( Narcotics Control Bureau) ने बेंगलुरु स्थित रायसंद्रा के एक अपार्टमेंट में एक अन्य व्यक्ति के आवास पर छापा मारा और उसकी तलाशी ली, जहां से भारी मात्रा में गांजा, कोकीन, एमडीएमए और अन्य दवाएं जब्त की गई थी।
याचिकाकर्ता खरीदता था ड्रग
जांच के दौरान इस वयक्ति ने अपना अपराध स्विकारने के साथ ही याचिकाकर्ता का नाम लिया था और कथित तौर पर उसको अपना ग्राहक बताया था। इस मालमे में दायार की गई एफआईआर में याचिकाकर्ता पहले आरोपियों में शामिल नहीं था। बाद में आरोप पत्र दायर की गई, जिसमे याचिकाकर्ता को चार नंबर आरोपी बनाया गया। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने माना कि 34 साल का व्यक्ति नशा करने के लिए ड्रग खरीदता था, जिसके कारण वह ड्रग एडिक्ट बन गया। वकील ने कोर्ट से कहा कि उसका क्लाईंट ड्रग का शिकार हुआ है और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 और 64ए के तहत उसको नशामुक्ति केंद्र में भेजा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाई
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘ मैं याचिकाकर्ता को ड्रग मुक्त कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति देता हूं और इस मामले में दायर एफआईआर में नामित किए गए आरोपी के तौर पर उसके खिलाफ कार्यवाही को निलंबित करता हूं।’ कोर्ट ने इस मामले में निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के इलाज की प्रगति के बारे में 21 नवंबर 2022 से पहले एक रिपोर्ट दायर की जाए।
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