सैन फ्रांसिस्को स्थित AI स्टार्टअप ग्रेप्टाइल के भारतीय-अमेरिकी सीईओ दक्ष गुप्ता ने अपनी कंपनी की कठिन कार्य संस्कृति का खुलासा करते हुए ऑनलाइन बहस छेड़ दी। उन्होंने ट्वीट में बताया कि ग्रेप्टाइल में 84 घंटे का कार्य सप्ताह होता है, जिसमें सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक काम करना पड़ता है, और वीकेंड भी अक्सर काम में लगते हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के साथ इसे शुरू में बताना बेहतर है, ताकि उम्मीदवार पहले दिन से ही इसे समझ सकें।
उनका ट्वीट तेजी से वायरल हुआ, जिसे 1.6 मिलियन से अधिक बार देखा गया। कुछ लोगों ने इसे “शोषणकारी संस्कृति” करार दिया, जबकि अन्य ने गुप्ता की ईमानदारी की तारीफ की। एक यूजर ने सवाल किया, “उम्मीदवार इतनी मेहनत के बावजूद आपका चयन क्यों करेगा, जब उन्हें अधिक वेतन नहीं मिलेगा?” वहीं, दूसरे ने पूछा, “क्या वीकेंड ऑफ देकर प्रोडक्टिविटी बढ़ाना बेहतर नहीं होगा?”
गुप्ता ने इसके जवाब में कहा कि उनका यह मॉडल शुरुआती स्टार्टअप चरण के लिए है और इसे लंबी अवधि में अपनाना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके कर्मचारी अपनी इच्छा से इस काम में हैं और किसी भी समय अपने पुराने जॉब पर लौट सकते हैं।
गुप्ता ने बताया कि उनके इनबॉक्स में 20% मौत की धमकियां और 80% नौकरी के आवेदन आए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्य संस्कृति उनके भारतीय मूल के कारण नहीं, बल्कि सैन फ्रांसिस्को की तेजी से आगे बढ़ने वाली सोच का परिणाम है।
यह प्रकरण काम और जीवन संतुलन पर वैश्विक स्तर पर बहस को एक नया आयाम देता है।