नेपाल की संसद में रविवार को पेश होने जा रहे विश्वास मत में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आसान जीत तय मानी जा रही है। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए 138 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। जबकि सत्ताधारी गठबंधन के पास 178 सदस्य हैं।
तीन विपक्षी पार्टियां कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी), राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत समाजवादी (सीपीएन-यूएस) विरोध में मतदान करेंगी। दूसरी ओर, ओली की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई भी निर्धारित है।
चौथी बार प्रधानमंत्री बने ओली
चीन समर्थक 72 वर्षीय कम्युनिस्ट नेता ओली ने 15 जुलाई को चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। नेपाली संविधान के अनुसार नियुक्ति के 30 दिन के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना अनिवार्य है। नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) की संयुक्त शक्ति 167 है।
ओली को 200 से ज्यादा मत मिलने की उम्मीद
सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दो अन्य पार्टियां जनता समाजवादी पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के पास क्रमश: सात और चार सीटें हैं। सत्ताधारी गठबंधन के अतिरिक्त ओली को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी नेपाल के पांच, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के चार और जनमत पार्टी के छह सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है। इन पार्टियों के सदस्यों को मिलाकर सदन में ओली को 200 से ज्यादा मत मिलने की उम्मीद है।
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