कानपुर के हैलट अस्पताल में प्रदेश का पहला डायग्नोस्टिक्स लैब हब बनाया जाएगा। इसमें एक ही छत के नीचे सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड तथा पैथोलॉजिकल जांचों की सुविधा उपलब्ध होगी। यहीं पर रोगी को जांच रिपोर्ट भी मिल जाएगी। इसके साथ ही स्टेम सेल लैब भी डायग्नोस्टिक्स लैब हब में रहेगी। इसे पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के सीएसआर फंड से बनाया जाएगा।
लैब का बजट 10.32 करोड़ रुपये है। लैब का कार्य 31 मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला और पावर ग्रिड के महाप्रबंधक जग विजय सिंह ने शुक्रवार को समझौता पत्र पर दस्तखत किए। लैब हब की कार्ययोजना के संबंध में डॉ. यशवंत राव ने प्रस्तुतिकरण दिया।
इस दौरान मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला, पावर ग्रिड के महाप्रबंधक जग विजय सिंह, उप महाप्रबंधक वेद प्रकाश रस्तोगी ने प्रेसवार्ता की। डॉ. काला ने बताया कि डायग्नोस्टिक्स हब हैलट ओपीडी भवन से सटे गिरासू रैन बसेरा के स्थान पर बनाया जाएगा। इसके चार फ्लोर होंगे। बेसमेंट में एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे जांचें होंगी।
मैसेज और व्हाट्सएप से रिपोर्ट भेजने की व्यवस्था
ग्राउंड फ्लोर पर सैंपल एकत्र किए जाएंगे। रोगियों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था रहेगी। इसके बाद पहले तल पर जांचें होंगी। दूसरे तल पर प्रशासनिक ब्लॉक रहेगा। यहां डाटा कलेक्शन आदि किया जाएगा। यहां मोबाइल फोन पर मैसेज और व्हाट्सएप से रिपोर्ट भेजने की व्यवस्था रहेगी। उन्होंने बताया कि लैब बनने से रोगियों को आसानी होगी।
सीएसआर फंड से संस्थानों की मदद करना है प्राथमिकता
पावर ग्रिड के महाप्रबंधक जगदेव सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सीएसआर फंड से संस्थानों की मदद करना उनकी प्राथमिकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की आगे भी मदद करेंगे। इस मौके पर रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक वर्मा, पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह, हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके सिंह मौजूद रहे।
ये नई जांचें भी शुरू होंगी
- हारमोनल एनालिसिस
- कैंसर मार्कर जांचें
- हिस्टो पैथोलॉजी की जांचें
- रीनल पैथोलॉजिकल जांचें
- ब्रेन बायोप्सी
- टिश्यू मार्कर जांचें
- इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी
हैलट में रोज होती हैं 11 हजार जांचें
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि विभाग में औसत 11 हजार जांचें प्रतिदिन होती हैं। मशीनें लगातार चलती रहती हैं। मार्च वर्ष 2023 से मार्च 2024 तक एक साल में 34 लाख 16 हजार 16 पैथोलॉजिकल जांचें हुई हैं।
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