महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बात न करें। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि बापू ने स्वयं उनकी भूमिका को स्वीकार किया था। शाह ने हाल ही में कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहिंसक आंदोलन के केवल एक प्रकार के आख्यान को ही शिक्षा, इतिहास और दंतकथाओं के माध्यम से लोगों पर थोपा गया है, जबकि भारत की स्वतंत्रता सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान सहित सामूहिक प्रयासों का परिणाम थी।
राष्ट्रपिता को किताब में महात्मा नहीं कहा
तुषार गांधी ने केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के छठे संस्करण में कहा कि हमें ये बातें कहने के लिए किसी अमित शाह की जरूरत नहीं है। उन्हें ये बातें इसलिए कहने की अवश्यकता है, क्योंकि उनके पास अपने बारे में या अपनी विचारधारा के बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं है। बापू ने स्वयं स्वीकार किया था कि केवल उनके प्रयत्नों से ही स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी। महात्मा गांधी ने सभी को श्रेय दिया था, यहां तक कि क्रांतिकारियों के पहले के प्रयासों को भी। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को भी स्वीकार किया था। महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने अपनी पुस्तक लास्ट डायरी आफ कस्तूर, माई बा के बारे में कहा कि बापू किसी और व्यक्ति की तरह एक साधारण इंसान थे। इसीलिए उन्होंने राष्ट्रपिता को किताब में महात्मा नहीं कहा।