
नीलम शनि देव का रत्न है और इसके जैसा ही दिखने वाला जामुनी रंग का रत्न जामुनिया भी शनि का रत्न है. यह चमत्कारिक रत्न दुर्भाग्य को सौभाग्य में सकता है.
कई बार जीवन में अजीब सी स्थितियों का सामन करना पड़ता है, जैसे- बनते काम बिगड़ जाना, बार-बार नुकसान होना, हर तरफ से निराशा हाथ लगना. ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को सौभाग्य बदलने के लिए रत्न शास्त्र में एक चमत्कारिक रत्न बताया है. यह है जामुनी रंग का रत्न जामुनिया. यह रत्न पहनते ही शनि देव की कृपा होती है और वे प्रसन्न होकर जिंदगी बदल देते हैं. चूंकि जामुनिया नीलम रत्न की तरह कीमती नहीं होता है इसलिए इसे धारण करना आसान होता है. लेकिन अन्य रत्नों की तरह इसे भी विशेषज्ञ की सलाह से ही धारण करना चाहिए.
जामुनिया रत्न पहनने के फायदे
रत्न शास्त्र के अनुसार जामुनिया रत्न पहनने से व्यक्ति अपने काम के प्रति ज्यादा गंभीर और समर्पित हो जाता है. उसकी निष्ठा, मानसिक शक्ति मजबूत होती है. उसे व्यापार में हो रहे नुकसान से राहत मिलती है. धन की आवक बढ़ती है. करियर-नौकरी की रुकावटें दूर होती हैं. उसकी आय बढ़ती है, तरक्की मिलती है. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. लव लाइफ, मैरिड लाइफ में खुशियां आती हैं. शनि दोष के कारण होने वाली सेहत संबंधी समस्याएं घुटने, कंधे या रीढ़ की हड्डी के दर्द आदि से राहत मिलती है.
ये राशि वाले पहन सकते हैं जामुनिया रत्न
जामुनिया रत्न या पर्पल स्टोन या एमेथिस्ट को वृषभ, मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि वाले जातक धारण कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शनि नीच का हो उन्हें भी जामुनिया रत्न सूट कर सकता है लेकिन बिना विशेषज्ञ को कुंडली दिखाए यह रत्न न पहनें. साथ ही रत्न का वजन भी पूछें.
जामुनिया धारण करने का तरीका
जामुनिया रत्न धारण करने के लिए शनिवार का दिन सबसे अच्छा होता है. सुबह स्नान के बाद शनिदेव की पूजा करें. फिर जामुनिया रत्न वाली अंगूठी को गंगाजल से साफ करके धारण करें. साथ ही शनि मंत्र ‘ऊं शं शनैश्चराय नम:’ का 108 बार जाप करें. इस उंगली को दाएं हाथ की मध्यमा यानि बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए.
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